मण्डरायल मार्ग पर नए अस्पताल भवन के समीप से खोहरा के हनुमान मंदिर का रास्ता है। इतिहासकारों के अनुसार करौली के आराध्य भगवान मदनमोहनजी के विग्रह के विराजित होने के बाद में हनुमान प्रतिमा को खोहरा के बाग में विराजित किया गया था। करौली रियासत के समय राजा गोपालसिंहजी के समय इस हनुमान प्रतिमा को प्रतिष्ठित कराया गया था। हनुमानजी की यह प्रतिमा लगभग आठ फीट ऊंचाई की हैं।
बुजुर्ग बताते हैं कि इस प्रतिमा के समान ऊंचाई-चौड़ाई की करौली के आसपास इलाके में कोई अन्य प्रतिमा नहीं है। इस मंदिर के एक हिस्से में शिवालय भी है। बताते है कि करौली राजपरिवार के महाराज कुमार बृजेन्द्र पालजी की इस मंदिर के प्रति गहरी आस्था थी। वे यहां ना केवल दर्शनों को पहुंचते थे, बल्कि समय-समय पर धार्मिक आयोजन भी कराया करते थे।
करौली शहर से यह हनुमान मंदिर भले ही दूरी पर था, लेकिन उस समय से ही बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां दर्शनों को पहुंचते रहे हैं। तीज-त्योहार और नवरात्र के दौरान यहां विशेष आयोजन होते हैं।
करौली शहर से यह हनुमान मंदिर भले ही दूरी पर था, लेकिन उस समय से ही बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां दर्शनों को पहुंचते रहे हैं। तीज-त्योहार और नवरात्र के दौरान यहां विशेष आयोजन होते हैं।
वर्तमान में भी शारदीय नवरात्र में मंदिर में अखण्ड रामायण पाठ का आयोजन हो रहा है। इतिहासकार वेणुगोपाल शर्मा के अनुसार करीब साढ़े तीन शताब्दी पूर्व राजा गोपालसिंहजी के समय खोहरा के बाग में हनुमान प्रतिमा को गुंसाईजी द्वारा स्थापित कराया गया था।
हालांकि मंदिर तक पहुंचने का रास्ता पूरी तरह दुरुस्त नहीं है। कहीं पथरीला है तो कहीं कच्चा रास्ता है। हालांकि कुछ रास्ते में सीमेन्टेड सड़क भी बनी है, लेकिन अब वह भी क्षतिग्रस्त हो गई है।
हालांकि मंदिर तक पहुंचने का रास्ता पूरी तरह दुरुस्त नहीं है। कहीं पथरीला है तो कहीं कच्चा रास्ता है। हालांकि कुछ रास्ते में सीमेन्टेड सड़क भी बनी है, लेकिन अब वह भी क्षतिग्रस्त हो गई है।
आलेख:- दिनेश शर्मा