जिले में शुरूआती दौर में बोई गई तिल और बाजारा की फसल पककर तैयार है, वहीं कई क्षेत्रों में कटाई भी शुरू हो गई है। ऐसे में कटी पड़ी फसल भी खेतों में पड़ी है। ऐसे में इन दिनों में हो रही बारिश फसल पर भारी पड़ सकती है। दिनभर रुक-रुककर रिमझिम बारिश का दौर चला, जिसके चलते फसल में नुकसान की आशंका को लेकर किसान चिंतित हो उठे। पककर खेतों में तैयार खड़ी और काटने के बाद खेतों में रखी फसल को नुकसान की आशंका है। जिसके कारण किसानों की चिंता बढ़ गई है। बारिश के चलते सुबह से ही खेतों में किसान फसल को काटने के बाद रखी फसल को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने और नुकसान से बचाने के प्रयास में जुटे नजर आए।
किसानों ने बताया कि काफी क्षेत्रों में बाजरे और तिल की फसल पकने के बाद कटाई शुरू हो गई। गौरतलब है कि जिले में इस बार करीब 1 लाख 28 हजार हैक्टेयर क्षेत्रफल में बाजारा की बुवाई हुई है, जबकि करीब 22 हजार हैक्टेयर क्षेत्रफल में तिल की बुवाई हुई थी।
ऐसे है नुकसान की आशंका
कृषि विभाग अधिकारियों का कहना है कि यदि मौसम शीघ्र साफ नहीं हुआ और दो-तीन ऐसा ही मौसम रहने के साथ बारिश हुई तो बाजरे का दाना खराब होने से गुणवत्ता में कमी आएगी। वहीं उसके सूखने में भी परेशानी आने से उत्पादन भी प्रभावित हो सकता है। इसी प्रकार पानी से तिल की फसल फुलेगी तो दाना निकलने में परेशानी होगी।
कृषि विभाग अधिकारियों का कहना है कि यदि मौसम शीघ्र साफ नहीं हुआ और दो-तीन ऐसा ही मौसम रहने के साथ बारिश हुई तो बाजरे का दाना खराब होने से गुणवत्ता में कमी आएगी। वहीं उसके सूखने में भी परेशानी आने से उत्पादन भी प्रभावित हो सकता है। इसी प्रकार पानी से तिल की फसल फुलेगी तो दाना निकलने में परेशानी होगी।
इनका कहना है
जिले में शुरूआती दौर में बुवाई की गई बाजरा और तिल की फसल अब पककर तैयार है। पकी फसल को किसानों ने काटना शुरू कर दिया। यदि शुक्रवार का जैसा मौसम कुछ दिन और रहेगा तो बारिश के कारण फसल की गुणवत्ता और मात्रा के प्रभावित होने की आशंका है।
रामलाल जाट, उपनिदेशक कृषि विभाग, करौली
जिले में शुरूआती दौर में बुवाई की गई बाजरा और तिल की फसल अब पककर तैयार है। पकी फसल को किसानों ने काटना शुरू कर दिया। यदि शुक्रवार का जैसा मौसम कुछ दिन और रहेगा तो बारिश के कारण फसल की गुणवत्ता और मात्रा के प्रभावित होने की आशंका है।
रामलाल जाट, उपनिदेशक कृषि विभाग, करौली