वन विभाग सूत्रों के अनुसार जिले की ईको ट्यूरिज्म साईट कैलादेवी नैचर कैम्प खोहरी में वन क्षेत्र को लवकुश वाटिका विकसित करने की कार्ययोजना तय की है। इसके तहत करीब 1500 मीटर पक्की दीवार का निर्माण होगा, जिसकी ऊंचाई 6 फीट होगी। साथ ही लोहे के एंगल लगाकर तारबंदी की जाएगी। वहीं रास्तों की मरम्मत के साथ प्रकृति पथ बनाया जाएगा। लवकुश वाटिका में वोट, सैफ्टी जेकेट्स, कैम्पिंग के लिए ईको फ्रेंडली हट बनाए जाएंगे, वहीं वाटिका में रोशनी के प्रबंध के लिए सोलर सिस्टम लगाया जाएगा और बोरिंग कराई जाएगी। वाटिका में अस्थाई टिकट बुकिंग खिड़की, ईको शॉप विकसित करने के साथ अस्थायी बॉयो टायलेट का निर्माण होगा।
कैलादेवी नेचर कैम्प खोहरी विभाग के रेंज करौली के वन क्षेत्र के अन्तर्गत है। करौली के प्राचीन इतिहास को सहेजने एवं प्रकृति से आमजन को रू-ब-रू करने के उद्देश्य से ईको ट्यूरिज्म साइट लवकुश वाटिका खोहरी को विकसित किया जाएगा। विभाग का मानना है कि इसके विकसित होने से न केवल वन एवं वृक्षों के संरक्षण के लिए जनचेतना जागृत होगी, बल्कि लोगों को प्रकृति से रू-ब-रू होने का अवसर मिलने के साथ करौली को पर्यटन स्थल के रूप में एक नई पहचान मिलेगी।
खोहरी वनखण्ड का कुल क्षेत्रफल 4456.88 हैक्टेयर है, जो रक्षित वनक्षेत्र है। इस वनखण्ड के 10 हैक्टेयर क्षेत्रफल में ईको ट्यूरिज्म लवकुश वाटिका बनाई जाएगी। जिस स्थान पर वाटिका बनाना प्रस्तावित है, उसकी दूरी करौली जिला मुख्यालय से महज 20 किलोमीटर है, जबकि प्रसिद्ध आस्थाधाम कैलादेवी के समीप है। चूंकि कैलादेवी में प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं।
मुख्यमंत्री बजट घोषणा के तहत कैलादेवी नैचर कैम्प खोहरी में लवकुश वाटिका विकसित करने की कार्ययोजना बना ली गई है।इसमें विभिन्न कार्य प्रस्तावित किए गए हैं। प्रस्तावित कार्यों का जिला स्तर पर अनुमोदन होने के बाद प्रस्ताव उच्च स्तर पर भिजवा दिए गए हैं। जहां से स्वीकृति मिलते ही आगे की कार्रवाई होगी।
सुमित बंसल, उपवन संरक्षक करौली