राजस्थान के करौली जिले में मानसून मेहरबान होने से क्षेत्र में हुई अच्छी बारिश से जलसेन तालाब इन दिनों लबालब है। मध्य से लेकर घाटों तक खूब जलभराव होने से इस वर्ष पूजा पांडालों में विराजित गणपति जलसेन में आसानी से विसर्जित हो सकेंगे। अब तक कम पानी के चलते छोटी गणेश प्रतिमाओं का जलसेन में विसर्जन होता था। बड़ी प्रतिमाओं को जगर व पांचना बांध में विसर्जित किया जाता था।
दो दशक बाद हुई पानी की आवक से जलसेन लबालब हुआ है। दरअसल शहर की जीवन रेखा रहे जलसेन तालाब के कैचमेंट एरिया के नालों व जल प्रवाह के रास्तों के अवरुद्ध होने से पानी की आवक कम हो गई थी। अपेक्षाकृत कम बारिश और पानी आने के रास्ते बंद होने से भराव घाटों के पास सिमट कर रह गया।
इस वर्ष अगस्त व सितम्बर माह में हुई तेज बारिश में अवरोधों को पार कर आए पानी से जलसेन लबालब हो गया। हालांकि सिल्ट जमा होने व मोक्ष धाम के सामने पाल खुली होने से जलसेन का पेटा उथला हो गया है। वर्षों बाद जलभराव होने से गणेश प्रतिमाओं को जलसेन तालाब के जल में विसर्जित करना तय किया गया है।
इस बार सभी पूजा पांडालों की प्रतिमाओं की विसर्जन यात्राएं शहर जलसेन तालाब पर पहुचेंगी। इसके लिए गणेश भक्त मंडलों की संयुक्त बैठक में रूपरेखा तय कर तैयारियां की जा रही है।
शहर के लोगों के अनुसार वर्ष 2005 में जलसेन तालाब पानी की अच्छी आवक से लबालब हुआ था। उस दौरान पत्रिका के अमृतम् जलम् अभियान में पानी के भूले बिसरे रास्तों को सुचारू किया गया था। उसके बाद अब मेघों की मेहरबानी से जलसेन में जल तरंगें अटखेलियां कर रही हैं।
शहर में स्थापित 12 गणपति पांडाल
टीकाकुण्ड गणेश पांडाल के शिवकुमार सैनी ने बताया कि शहर में इस वर्ष विभिन्न इलाकों में 12 पूजा पांडालों में गणपति प्रतिमा विराजित हैं।