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करवा चौथ व्रत आज: आस्था यथावत, बदला चांद के दीदार का अंदाज

locationकरौलीPublished: Oct 24, 2021 12:22:15 pm

Submitted by:

Anil dattatrey

66 वर्ष से करवा चौथ का व्रत कर रहीं है अंगूरीदेवी

करवा चौथ व्रत आज: आस्था यथावत, बदला चांद के दीदार का अंदाज

करवा चौथ व्रत आज: आस्था यथावत, बदला चांद के दीदार का अंदाज

हिण्डौनसिटी. सुहाग की सलामती के लिए करवा चौथ माता के व्रत के प्रति आस्था पहले भी अटूट थी और आज भी मजबूत है। वक्त के साथ बदला है तो पूजा और चांद के दीदार का अंदाज। पहले महिलाओं तक सीमित रहने वाला सुहाग पर्व करवा चौथ नवाचारों से आधुनिक हो गया है। यह कहना है 81 वर्षीय अंगूरी देवी अग्रवाल का। जो गत 66 वर्ष से करबा चौथ का व्रत कर रही हैं। रविवार को सुहाग की दीघायु की कामना के लिए वे 67 वीं वार करवा चौथ का व्रत रख पूजा करेंगी।

अंगूरी देवी ने बताया कि वर्ष 1955 में उनका विवाह वस्त्र व्यवसायी ईश्वरलाल अग्रवाल से हुआ। तब से पारंपरिक तौर पर परिवार की महिलाओं के साथ करवा चौथ माता का व्रत व पूजा कर रही हैं। उस दौरान महिलाएं करवा चौथ का निर्जल व्रत रखती और शाम को सामान्य तौर पर पूजा कर चंद्रमा को अध्र्य देकर कर उपवास खोलती थी। उस दौर में घर के पुरुष के अपने कामकाज में व्यस्त रहते थे। ऐसे पति के हाथ से पानी पीने की चलन नहीं था। अंगूरी देवी ने बताया पहले पूजा में चीनी के करवों का प्रचलन नहीं था।

वर्ष 1980 के बाद के बाद करवा चौथ की पूजा में नवाचार आया है। अब इस व्रत को पत्नियों के साथ पुरुष भी करने लगे हैं। उन्होंने बताया मिट्टी के करवों में पहले अन्न और जल क्षेत्र की परम्पराओं तौर पर भरा जाता था। अब सास, ननद व जेठानी को उपहार देने की चलन बन गया है। वहीं महिलाएं चलनी में दीपक रख कर चांद के समक्ष पति को खड़ा कर दर्शन करती हैं। उस समय ऐसा नहीं होता था। इधर अंगूरी देवी के पति ईश्वरलाल ने बताया कि भारतीय संस्कृति व वृत-त्योहारों के साहित्य आने के बाद से पूजा और व्रत की शैली में बदलाव हुुआ है।

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