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इको सेन्सेटिव जोन निर्धारण के अभाव में रुका विकास

locationकरौलीPublished: Sep 08, 2019 06:22:38 pm

Submitted by:

Dinesh sharma

करौली. इको सेन्सेटिव जोन के अभाव में थमे विकास को गति देने के लिए कैलादेवी अभयारण्य एवं रणथम्भौर अभयारण्य क्षेत्र को इको सेंसेटिव जोन घोषित करने की मांग जोर पकडऩे लगी है।

इको सेन्सेटिव जोन निर्धारण के अभाव में रुका विकास

इको सेन्सेटिव जोन निर्धारण के अभाव में रुका विकास

करौली. इको सेन्सेटिव जोन के अभाव में थमे विकास को गति देने के लिए कैलादेवी अभयारण्य एवं रणथम्भौर अभयारण्य क्षेत्र को इको सेंसेटिव जोन घोषित करने की मांग जोर पकडऩे लगी है।

इसे लेकर रविवार को यहां सर्किट हाउस में क्षेत्रीय सांसद डॉ. मनोज राजोरिया से करौली माइनिंग एसोसिएशन के पदाधिकारियों-सदस्यों ने मुलाकात की।
एसोसिएशन के अध्यक्ष मदनमोहन पचौरी के नेतृत्व में पूरणप्रताप चतुर्वेदी, राजेन्द्र भारद्वाज, बबलू शुक्ला आदि ने सांसद को बताया कि दोनों अभयारण्य क्षेत्रों के इको जोन निर्धारण की मांग लम्बे समय से चली आ रही है, लेकिन इनके सेंसेटिव जोन घोषित नहीं होने के कारण अभयारण्य के चारों ओर 10 किलोमीटर की परिधि तक विकास थमा पड़ा है।
इससे इन जिलों में रोजगार में लगातार गिरावट आ रही है। वहीं इन क्षेत्रों के गांवों में सड़क, बिजली आदि मूलभूत सुविधाएं भी कम होती जा रही हैं।

जिले में वन क्षेत्र और कैलादेवी बाघ अभयारण्य के चलते खनन व्यवसायियों को पर्यावरणीय एनओसी मिलने में परेशानी आ रही है। इलाका खनिज बाहुल्य है, लेकिन इको जोन निर्धारण के अभाव में रोजगार और राजस्व देने वाला उद्योग बंद होने के कगार पर है।
ज्ञापन में दोनों अभयारण्य क्षेत्रों को इको सेंसेटिव जोन घोषित करने की मांग की गई। ज्ञापन देने वालों में पिन्टू शर्मा, मनोज गुप्ता, तेजराम मीना, रामरज माली , मुंशी मीना बलवीर शर्मा, सुरेश गुप्ता, नारायण सिंह, पप्पू पचौरी आदि खनन व्यवसायी शामिल थे।
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