गत दिवस डीएसटी टीम के साथ हिण्डौन व टोडाभीम इलाके के 10 थानों की पुलिस ने लपावली गांव में आबादी के बीचों बीच संचालित नकली शराब बनाने की फैक्ट्री का भंडाफोड किया था। पुलिस का मानना है कि लपावली निवासी श्रीमन गुर्जर व उसके पुत्र अमृत उर्फ घमदू गुर्जर व हरकेश उर्फ हक्कू के द्वारा संचालित नकली शराब बनाने की फैक्ट्री में प्रतिदिन करीब 100 से 200 पेटी देशी-अंग्रेजी शराब तैयार की जाती थी। डिमांड के मुताबिक नकली शराब की आपूर्ति सरकारी ठेकों के साथ गांव-ढाणियों में अवैध शराब बेचने वालों तक की जाती थी। पुलिस व आबकारी विभाग को चकमा देकर अवैध शराब की आपूर्ति नीली बत्ती लगी लग्जरी कार से होती थी। नकली शराब बनाने के उपयोग ली जाने वाली स्प्रीट व अन्य सामग्री सोनीपत व अलवर से मंगाई जाती थी।
सरकारी कम, नकली शराब की ज्यादा खपत-
आबकारी निरीक्षक जितेन्द्र वर्मा ने बताया कि लपावली गांव में मुख्य मार्ग पर आबकारी विभाग से अधिकृत शराब का ठेका संचालित है। जिसकी अनुज्ञाधारी आरोपी शराब माफिया श्रीमन गुर्जर की पत्नी और अमृत उर्फ घमदू गुर्जर व हरकेश उर्फ हक्कू की मां रामपति है। इस सरकारी ठेके पर आबकारी विभाग के डिपो से आवंटित की गई शराब की खपत कम और आरोपियों की फैक्ट्री में तैयार की गई नकली शराब की खपत अधिक होती थी।
आबकारी निरीक्षक जितेन्द्र वर्मा ने बताया कि लपावली गांव में मुख्य मार्ग पर आबकारी विभाग से अधिकृत शराब का ठेका संचालित है। जिसकी अनुज्ञाधारी आरोपी शराब माफिया श्रीमन गुर्जर की पत्नी और अमृत उर्फ घमदू गुर्जर व हरकेश उर्फ हक्कू की मां रामपति है। इस सरकारी ठेके पर आबकारी विभाग के डिपो से आवंटित की गई शराब की खपत कम और आरोपियों की फैक्ट्री में तैयार की गई नकली शराब की खपत अधिक होती थी।
यही कारण है कि वजह से पिछले कई माह से आबकारी डिपो से इस ठेके के नाम से शराब का उठाव मामूली मात्रा में किया गया। करीब छह माह पहले आबकारी अधिनियम के उल्लंघन तथा गारंटी नियम व शर्तों की पालना नहीं करने पर आबकारी निरीक्षक ने अनुज्ञाधारी के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर जुर्माना आरोपित किया था।
हो सकती थी शराब दुखांतिका-
गनीमत रही कि डीएसटी के हैड़ कांस्टेबल परमजीत सिंह व मानसिंह को नकली फैक्ट्री के बारे में समय रहते सूचना मिल गई। जिससे सक्रिय हुई पुलिस ने तत्परता बरतते हुए काले कारोबार का भंडाफोड कर दिया गया। अगर नकली शराब के सेवन से कोई शराब दुखांतिका घटित हो जाती, तो पुलिस व आबकारी महकमों की किरकिरी तो होती ही, कई असफर भी नप सकते थे। भरतपुर संभाग की अब तक की इस बड़ी कार्रवाई को अंजाम तक पहुंचाने वाले दोनों हैडकांस्टेबलों को पूर्व में बेहतर मुखबिर तंत्र और संगठित अपराधों की रोकथाम के अवार्ड के रुप में डीजीपी द्वारा गेलेन्ट्री अवार्ड प्रदान किया जा चुका है।
गनीमत रही कि डीएसटी के हैड़ कांस्टेबल परमजीत सिंह व मानसिंह को नकली फैक्ट्री के बारे में समय रहते सूचना मिल गई। जिससे सक्रिय हुई पुलिस ने तत्परता बरतते हुए काले कारोबार का भंडाफोड कर दिया गया। अगर नकली शराब के सेवन से कोई शराब दुखांतिका घटित हो जाती, तो पुलिस व आबकारी महकमों की किरकिरी तो होती ही, कई असफर भी नप सकते थे। भरतपुर संभाग की अब तक की इस बड़ी कार्रवाई को अंजाम तक पहुंचाने वाले दोनों हैडकांस्टेबलों को पूर्व में बेहतर मुखबिर तंत्र और संगठित अपराधों की रोकथाम के अवार्ड के रुप में डीजीपी द्वारा गेलेन्ट्री अवार्ड प्रदान किया जा चुका है।