निर्धन स्थिति के चलते पृथ्वीराज की बीमारी की जांच भी सही से न हो सकी है। ऐसे में उसकी मां अज्ञात बीमारी मानकर अपने बेटे की दशा को देख व्यथित होती रहती है। उसको चिंता है कि अभी तो वह सक्षम है लेकिन उसके असहाय हो जाने पर उसकी और उसके पुत्र की सेवा कौन कर सकेगा।
विधवा प्रेम देवी ने बताया कि 20 वर्ष पहले एक साथ दो बेटों का जन्म हुआ तो खुशी मनाई थी। लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था। कुछ दिनों बाद दोनों बेटे पृथ्वीराज व विकास को अज्ञात बीमारी ने जकड़ लिया। इससे दोनों मंदबुद्धिता के शिकार हो गए। खेलने कूदने की उम्र में खाट की बेडिय़ों में उलझ कर रह गए। बड़े बेटे विकास की गत वर्ष मौत हो गई। जबकि पृथ्वीराज 20 साल बाद भी खाट पर ही अपनी ङ्क्षजदगी बिता रहा है।
विधवा प्रेम देवी ने बताया कि पृथ्वीराज ना तो बोल सकता और ना ही सुन सकता है। बेटों का जयपुर, दिल्ली आदि के अस्पतालों में इलाज कराया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। करीब 9 वर्ष पहले उसके पति की भी टीबी की बीमारी से मौत हो गई। घर में कोई कमाने वाला नहीं होने से अब जीवन यापन करना काफी मुश्किल हो रहा है। उनको किसी सरकारी सहायता का लाभ नहीं मिल रहा। चार भाई-बहनों में पृथ्वीराज दूसरे नंबर का है। प्रेम देवी ने प्रशासन से आर्थिक सहायता की गुहार
लगाई है।