कथा वाचक ने बताया कि भगवान विष्णु ने वामन अवतार का रूप धारण करके राजा बली के अहंकार का नाश किया। भगवान ने नसीहत दी कि अंहकार से जीवन में कुछ भी हासिल नहीं होता। उन्होंने कहा कि ईष्यालु व्यक्ति के जीवन में कभी प्रगति नहीं हो सकती। ऐसे व्यक्तियों को भगवान सूर्य, वायु, नदियों, बादलों व वृक्षों से प्रेरणा लेनी चाहिए। उन्होंने व्याख्या की कि भगवान सूर्य बिना किसी भेदभाव के सृष्टि के सभी प्राणियों को प्रकाश देते हैं। वायु सभी जीवों में प्राणों का संचार करती है।
बादल परोपकार के लिए वर्षा करते है। नदियां किसी से नहीं पूछती कि तुम मेरा जल क्यों पीते हो और वृक्ष भी किसी व्यक्ति से यह नहीं पूछते कि तुम मेरे फल क्यों तोड़ते रहे। उन्होंने कहा कि अपना उद्धार चाहते हो तो परोपकार में करो। इसी से तुम्हारा कल्याण होगा। कथा के बीच में वामन भगवान की आकर्षक झांकी सजाई गई। बीच-बीच में सुनाए गए भजनों पर श्रद्धालु नाचने लगे। कथा का आयोजन रामअवतार खंडेलवाल द्वारा कराया जा रहा है। कथा में काफी ग्रामीण पहुंच रहे हैं।