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स्लीपर कोच बसों में धड़ल्ले से हो रहा लगेज परिवहन

locationकरौलीPublished: Feb 23, 2021 11:12:30 pm

Submitted by:

Anil dattatrey

Luggage transportation being done in sleeper coach buses indiscriminately-चोरी की बाइकों के अवैध परिवहन व तस्करी की आशंका-परिवहन विभाग व यातायात पुलिस लाचार, नहीं हो रही कार्रवाई

स्लीपर कोच बसों में धड़ल्ले से हो रहा लगेज परिवहन

स्लीपर कोच बसों में धड़ल्ले से हो रहा लगेज परिवहन

हिण्डौनसिटी. जिले के कैलादेवी, करौली व हिण्डौन से होकर दिल्ली, अहमदाबाद, बडौदरा व सूरत जैसे बड़े शहरों को जाने वाली स्लीपर कोच बसों में अवैध रूप से सामान का परिवहन किया जा रहा है। बस संचालक मनमानी कर धडल्ले से ओवरलोडिंग कर रहे हैं, यहां तक कि बस की छतों पर बड़ी मात्रा में लगेज (सामान) ले जाया जा रहा है। लेकिन मिलीभगत के चलते परिवहन विभाग व पुलिस अधिकारी इनके खिलाफ कार्रवाई करने की जहमत नहीं उठा रहे हैं। ऐसे में इन बसों में चोरी की बाइकों के साथ ही अवैध सामान की तस्करी की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।

जानकारी के अनुसार विभिन्न शहरों तक चलने वाली स्लीपर कोच बसों में सवारियों से अधिक मात्रा में लगेज भरा जाता है। यह सामान न केवल अंदर बल्कि बसों की छत पर भी लाद दिया जाता है। जिससे इन बसों की ऊंचाई और भी अधिक हो जाती है। हाई वे पर स्लीपर कोच बसें तेज रफ्तार में चलती है। ऐसे में अधिक ऊंचाई होने के कारण अक्सर हादसे का अंदेशा बना रहता है। बस संचालक निजी फायदे के लिए न केवल यात्रियों की जान के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं, बल्कि शासन को भी लाखों रुपए के टैक्स का चूना लगा रहें हंै।
दर्जनों बसों का होता है संचालन-
जिले से होकर प्रतिदिन दर्जनों स्लीपर कोच बसों संचालन होता है, सैंकडों यात्री इन बसों में सफर करते हैं। अधिकतर बसों में कोई सुविधा नहीं है यहां तक कि कई बसों में आपातकालीन खिडक़ी (इमरेजेंसी विंडो) व प्राथमिकी उपचार टूल बॉक्स ही नहीं है।
ताक पर नियम-
परिवहन विभाग के नियमानुसार बसों में सामान (लगेज) ले जाने का प्रावधान सिर्फ बस में यात्रा करने वाले यात्रियों को ही है, वह भी निर्धारित सीमा के अनुसार। लेकिन बस संचालकों द्वारा नियमों को ताक पर रखकर निर्धारित सीमा से अधिक लगेज ले जाया जाता है। इसके अलावा भी बसों की छतों पर संचालकों द्वारा बिना यात्रा करने वाले व्यक्तियों के लगेज को भी भरा जाता है।
सडक़ को ही बना लिया स्टेण्ड-
मिलीभगत के चलते चौपड़ सर्किल के पास बीच सडक़ पर ही स्लीपर कोच बसों को को कई घंटों तक खड़ी रख यात्रियों को बिठाया जाता है। जिस स्थान पर स्लीपर कोच खड़ी होती हैं, वहां से रोडवेज बस स्टेण्ड की दूरी महज १०० मीटर है। ऐसे में रोडवेज बसों से यात्रियों को उतार कर स्लीपर कोच बसों में बिठाया जाता है। जिससे राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम तो राजस्व नुकसान झेल ही रहा है, इसके साथ ही अन्य वाहनों के साथ लोगों को आवागमन में भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
जहां चाहो ले जाओ, कोई भी सामान-
नियमानुसार किसी भी सामान को कहीं भी ले जाने के लिए उसकी बिल रसीद या कोई अहम दस्तावेज जरूरी होता है, लेकिन स्लीपर कोच बसों में जांच पड़ताल के झंझट के बिना ही किसी भी प्रकार का सामान कहीं भी लाया और ले जाया जा सकता है। स्थिति यह है कि अतिरिक्त शुल्क वसूलने के बाद बिना कोई दस्तावेज की जांच के बिना ही बस की छत व डिग्गी में रख कर बाइक, गैस सिलेण्डर व सभी प्रकार का वजनी सामान ले जाया जाता है।
बिग इश्यू, करेंगे कार्रवाई-
यात्री वाहन में लगेज नहीं किया जा सकता। बिना रसीद और दस्तावेज के बसों में सामान परिवहन गलत है, ये बिग इश्यू है। इसके लिए बसों की चैकिंग करा सख्त कार्रवाई की जाएगी।
किशोरी लाल, पुलिस उपाधीक्षक, हिण्डौनसिटी।

बसों में परिवहन गलत-
परिवहन विभाग के नियमानुसार स्लीपर कोच बसों में सामान का परिवहन गलत है। छतों पर बाइक आदि को लाने ले जाने की जानकारी नहीं है। अगर ऐसा है तो कार्रवाई करेंगे।
-अविनाश चौहान, परिवहन निरीक्षक, हिण्डौनसिटी।
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