लूपिन ने उपलब्ध कराई नियोनेटल रेस्प्रिरेटर मशीन
करौलीPublished: May 06, 2021 09:31:25 pm
लूपिन ने उपलब्ध कराई नियोनेटल रेस्प्रिरेटर मशीन
करौली चिकित्सालय में नवजात शिशुओं की श्वसन क्रिया में होगी मददगार
करौली। स्थानीय जिला चिकित्सालय के लिए प्रमुख स्वयंसेवी संस्था लूपिन ने 8 लाख रुपए लागत नियोनेटल रेस्प्रिरेटर मशीन उपलब्ध कराई है। धौलपुर में संस्था के जिला कार्यक्रम अधिकारी सुबोध गुप्ता तथा मंजरी फाउण्डेशन के निदेशक संजय शर्मा ने बुधवार को जिला कलक्टर सिद्धार्थ सिहाग तथा प्रमुख चिकित्सा अधिकारी डॉ. दिनेश गुप्ता को यह मशीन प्रदान की।
लूपिन ने उपलब्ध कराई नियोनेटल रेस्प्रिरेटर मशीन
लूपिन ने उपलब्ध कराई नियोनेटल रेस्प्रिरेटर मशीन करौली चिकित्सालय में नवजात शिशुओं की श्वसन क्रिया में होगी मददगार करौली। स्थानीय जिला चिकित्सालय के लिए प्रमुख स्वयंसेवी संस्था लूपिन ने 8 लाख रुपए लागत नियोनेटल रेस्प्रिरेटर मशीन उपलब्ध कराई है। धौलपुर में संस्था के जिला कार्यक्रम अधिकारी सुबोध गुप्ता तथा मंजरी फाउण्डेशन के निदेशक संजय शर्मा ने बुधवार को जिला कलक्टर सिद्धार्थ सिहाग तथा प्रमुख चिकित्सा अधिकारी डॉ. दिनेश गुप्ता को यह मशीन प्रदान की।
गौरतलब है कि नवजात शिशुओं में श्वसन क्रिया में आने वाली दिक्कत के समाधान के लिए संस्था के अधिशासी निदेशक सीताराम गुप्ता ने राजस्थान पत्रिका के महामारी से महामुकाबला अभियान से प्रेरित होकर यह मशीन करौली चिकित्सालय को उपलब्ध कराने का निर्णय बीते दिनों किया था। हालांकि इससे पहले चिकित्सा मंत्री चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा व चिकित्सा राज्यमंत्री डॉ.सुभाष गर्ग ने संस्था के अधिशासी अधिकारी सीताराम गुप्ता से करौली जिले में नवजात शिशुओं की मृत्यु दर में कमी लाने के उद्देश्य से यह मशीन उपलब्ध कराने की अभिशंसा की थी। साथ ही जिला कलक्टर सिद्वार्थ सिहाग ने भी इस बारे में आग्रह किया था।
संस्था के प्रतिनिधियों द्वारा बुधवार को नियोनेटल रेस्प्रिरेटर मशीन प्रदान किए जाने के दौरान जिला कलक्टर ने मशीन की संचालन प्रक्रिया की जानकारी ली। उन्होंने संस्था के इस सहयोग की सराहना करते हुए कहा कि यह मशीन निश्चित तौर पर श्वसन की बीमारी से पीडि़त नवजात शिशुओं के लिए जीवनदायिनी साबित होगी।
प्रमुख चिकित्सा अधिकारी डॉ. दिनेश गुप्ता ने बताया कि अनेक शिशुओं को जन्म के समय ऑक्सीजन की कमी आ जाती है। शिशुओं की सांस नली व मुख में गंदे पानी से सांस में अवरोध उत्पन्न हो जाता है। ऐसे कुछ मामलों में शिशुओं का मस्तिष्क कमजोर रह जाता है या वे अपाहिज हो जाते हैं। गंभीर स्थिति में इससे कई बार नवजात की मौत हो जाती है। करौली के राजकीय चिकित्सालय में प्रतिमाह 10 से 15 नवजातों में सांस की समस्या सामने आती रहती है। कोविड संक्रमण के दौर में किसी गर्भवती को संक्रमण की समस्या के चलते यह परेशानी भी सामने आ सकती है।
ऐसे नवजात शिशुओं का इस मशीन से उपचार करने पर उनका जीवन बचाया जा सकेगा।