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करौली

राजस्थान पत्रिका से फोन गया तो सांसद बोले— चटपटी खबर दोगे क्या? हकीकत देखिए इलाके में विकास पूरा ठप है

केन्द्र और राज्य की सरकारें चाहें विकास का दम भरती हों लेकिन सत्ताधारी दल के सांसद का हाल यह है कि वो विकास के लिए ..

करौलीFeb 17, 2018 / 07:28 pm

Vijay ram

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मोदी सरकार को 4 साल होने जा रहे हैं, प्रधानमंत्री द्वारा सांसदों को इस बीच कई बार जनसमस्याएं निपटाने को हिदायत दी गईं। मगर सांसद हैं कि वोट पाने के बाद जैसे धोंध फुलाने घर बैठ गए। राजस्थान के कई जिलों में विकास कार्य ठप पड़े हैं। विधायकों ने नहीं किया तो सांसद ने भी अपनी पॉवर का सही इस्तेमाल भी नहीं किया।
राजस्थान पत्रिका ने जब एक भाजपा सांसद को कॉल किया तो वह बोले कि ”पूछकर सनसनी फैलाओगे क्या?” रिपोर्टर ने कहा— ”सर, करौली-धौलपुर रेल लाइन का क्यों रुका इस पर कहिए। यहां आजादी के इतने बरस बाद भी रेल नहीं आई क्यों?”
पूरी बातचीत के बाद करौली-धौलपुर रेल लाइन के काम को रुकवाने के लिए आरोपों से घिरे माननीय की विकास कराने में कंजूसी सामने आई। असल में, केन्द्र और प्रदेश की सरकारें चाहें विकास का दम भरती हों लेकिन सत्ताधारी दल के सांसद का हाल यह है कि वो विकास के लिए उनको आवंटित राशि का उपयोग करने में कोताही बरत रहे हैं। स्थिति यह है कि जिले के विकास के लिए तीन वर्ष में सांसद मद में आवंटित राशि का एक तिहाई उपयोग ही हो पाया है।
आवंटित राशि का एक तिहाई भी नहीं किया खर्च
करौली-धौलपुर के सांसद डॉ. मनोज राजौरिया के लिएप्रत्येक जिले में विकास कार्य के लिएप्रति वर्ष ढाई -ढाई करोड़ रुपए आवंटित किएजाते हैं। अभी तक उनको करौली जिले के लिए साढ़े सात करोड़ की राशि मिल चुकी है। इसमें से उनके द्वारा करौली में महज २ करोड़ १७ लाख की राशि ही खर्च की गई है। वर्ष २०१७-१८ के लिए उनको राशि अभी आवंटित नहीं हुई है जो अगले दिनों में मिलने वाली है। तब उनका फंड और बढ़ जाएगा।
‘माननीय’ कर रहे विकास में कंजूसी
खास बात यह है कि सांसद डॉ. मनोज राजोरिया को वर्ष २०१४-१५ में २५०.०० लाख की राशि स्वीकृत की गई। इस वर्ष में करौली जिले के लिए एक भी काम की सांसद ने अभिशंसा नहीं की। आंकड़ों के अनुसार सांसद द्वारा किसी भी वित्तीय वर्ष में राशि का पूरा उपयोग नहीं किया गया है। सांसद निधि कोष में जो राशि आवंटित की जाती है उससे सांसद अपने संसदीय क्षेत्र में सड़क, पानी, बिजली सहित अन्य जनउपयोगी सुविधाओं पर इसे खर्च कर सकते हैं।
वैसे सड़क, पानी, बिजली पर तो सरकार ही काफी धन खर्च कर देती है, लेकिन फिर भी चिकित्सालय, विद्यालयों व महाविद्यालयों में अनेकों ऐसी जरूरतें होती हैं, जहां सांसद जैसे जनप्रतिनिधि की ओर ताकना पड़ता है। करौली चिकित्सालय में ही अनेक चिकित्सकीय सुविधाओं का अभाव है, जहां पर वह धन देकर आवंटित राशि का कुछ हिस्सा उपयोग कर सकते हैं।
गाइड लाइन के अनुसार अनुशंसा की
”सांसद का काम नियमानुसार अनुशंसा करना होता है। मैंने सांसद निधि गाइडलाइन के अनुसार अनुशंसा की है। अनुशंसा ज्यादा राशि की है। प्रशासनिक रुकावटों के कारण कुछ काम पूरे नहीं हो सके हैं। वास्तविक रूप से जारी की गई अनुशंसा के मुताबिक रिमाइंडर के बाद भी प्रशासनिक और वित्तीय स्वीकृति जारी नहीं होने से जो काम रुके हैं। वह अब पूरे होंगे।”
— डॉ. मनोज राजोरिया सांसद करौली-धौलपुर लोकसभा।

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