सूत्रों के अनुसार शहर में विभिन्न आवासीय कॉलोनी व प्रमुख मार्गों पर 29 मैरिज गार्डन संचालित है। इनमें से करौली रोड स्थित महज दो मैरिज गार्डन ही पंजीकृत है। अपंजीकृत मैरिज गार्डनों पर वर्ष 2016 से नगरीय विकास शुल्क (यूडी टैक्स), पंजीकरण शुल्क व नवीनीकरण शुल्क के करीब 19 लाख रुपए बकाया चल रहे हैं। लेकिन नगरपरिषद की उदासीनता के चलते वसूली नहीं हो सकी।
सुरक्षा भगवान भरोसे- अधिकांश मैरिज गार्डन सुरक्षा मानकों को पूरा नहीं करते हैं। इनमें न तो फायर सेफ्टी सिस्टम स्थापित है और न ही पार्किंग की व्यवस्था। जबकि मैरिज गार्डनों में शादी-समारोहों के आयोजन के दौरान खुलेआम गैस सिलेंडर व चूल्हों पर पकवान तैयार किए जाते हैं। प्रति बुकिंग 60 हजार से 1 लाख रुपए तक कमाने के बावजूद फायर सेफ्टी सिस्टम स्थापित करने के बारे में न तो कभी मैरिज होम संचालकों ने सोचा और न ही नगरपरिषद प्रशासन ने इनके खिलाफ कार्रवाई की जुर्रत की। ऐेसे में मैरिज गार्डनों में आयोजित शादी समारोहों में सात जन्मों का साथ निभाने का वचन लेने वाले दूल्हा-दुल्हन व हजारों घराती और बारातियों की सुरक्षा भगवान भरोसे है।
पत्रिका ने किया उदासीनता को उजागर- पूर्व में कई बार मैरिज गार्डनों में हो चुके आगजनी के हादसों के बावजूद नगरपरिषद प्रशासन की इस अनदेखी को राजस्थान पत्रिका ने 22 फरवरी के अंक में ‘बिना पंजीकरण चल रहे मैरिज गार्डन’ शीर्षक से समाचार प्रकाशित कर उजागर किया था। इस पर हरकत में आए नगरपरिषद प्रशासन ने मैरिज गार्डनों पर कार्रवाई का मन बनाया है।
इनका कहना है- मैरिज गार्डन मालिकों ने यूडी टैक्स व अन्य करों की बकाया राशि पिछले चार-पांच वर्षों से जमा नहीं कराई है। बकाया वसूली के लिए नोटिस जारी किए जा रहे है। राशि जमा नहीं होने पर सीज करने की कार्रवाई की जाएगी।
प्रेमराज मीना, आयुक्त, नगरपरिषद हिण्डौनसिटी।