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करौली

सूखे पड़े है करोडों के एनीकट

गुढ़ाचन्द्रजी. कस्बे की त्रिवेणी नदी में करीब तीन वर्ष पूर्व अलग-अलग स्थानों पर बनाए गए आधा दर्जन से भी अधिक एनीकट पानी के अभाव में नकारा हैं। ऐसे में सरकार के करोड़ों रुपए व्यर्थ साबित हो रहे हैं।

करौलीOct 15, 2019 / 11:58 am

Surendra

सूखे पड़े है करोडों के एनीकट

सूखे पड़े है करोडों के एनीकट

गुढ़ाचन्द्रजी. कस्बे की त्रिवेणी नदी में करीब तीन वर्ष पूर्व अलग-अलग स्थानों पर बनाए गए आधा दर्जन से भी अधिक एनीकट पानी के अभाव में नकारा हैं। ऐसे में सरकार के करोड़ों रुपए व्यर्थ साबित हो रहे हैं।पानी के अभाव में एनीकटों का अब तक उपयोग नहीं हो पाया है।
दो दशक पहले तक कल-कल की आवाज के साथ बहने वाली त्रिवेणी नदी में सरकार की विभिन्न योजनाओं में करोड़ों रुपए की लागत से तालचिड़ा की ओर से आने वाली नदी में खरेड़ा बालाजी के समीप राजाहेड़ा एनीकट, तितरोन एनीकट,मुहाना भूदान एनीकट, जहाजपुरिया एनीकट बीड़ा, बाड़ा गांव के समीप एनीकट व तालचिड़ा गांव के समीप एनीकट बनाए थे। इसके अलावा पाल नदी पर बैरबा बस्ती के समीप, बर्माकापुरा के समीप एनीकट, पाल एनीकट, बूरवाल एनीकटों का निर्माण कराया था। इससे पहले करीब पांच करोड़ रुपए की लागत से सिंचाई विभाग ने बोरिंग चौराहे के समीप भी एनीकट बनवाया था।
पेयजल किल्लत मिटाना था उद्देश्य
एनीकटों के निर्माण के पीछे सरकार का उद्देश्य था कि क्षेत्र का जलस्तर बना रहे। इससे क्षेत्र में लोगों को पेयजल की किल्लत का सामना नहीं करना पड़े। साथ ही मवेशियों को भी पानी मिल सके। लेकिन बारिश की कमी व पानी की आवक के रास्तों में लोगों द्वारा अतिक्रमण कर अवरोध खड़े कर देने से एनीकटों तक पानी नहीं पहुंच रहा है। बारिश अधिक होने पर ही एनीकटों में पानी आता है, जो कुछ ही दिनों में सूख जाता है। अन्य दिनों में यह सूखे पड़े रहते हैं। तीन दशक पहले तक नदी में लालसर, पाल, आमकाजाहिरा आदि गांवों की पहाडिय़ों का पानी आता था। इस कारण सरकार ने एनजीओ के माध्यम से आधा दर्जन से भी अधिक स्थानों पर एनीकटों का निर्माण कराया था।
नहीं हो रही देखभाल
करोड़ों रुपए की लागत से तैयार एनीकटों में पानी की जगह कीकर-बबूल व झाडिय़ां नजर आती है। साथ ही पानी के अभाव में सूखे पड़े एनीकटों में गंदगी के साथ रेत व मिट्टी जमा है। इससे उनकी भराव क्षमता भी कम हो गई है।
एनीकट की खुली पोल
जलधारा प्रोजेक्ट के तहत बनाए गए बैरवा बस्ती के समीप एनीकट में गुणवत्ता का अभाव होना दिख रहा है। एनीकट एक तरफ से खोखला हो गया है। जिसमें पानी भरकर दीवार क्षतिग्रस्त होने की आशंका है। इससे लगता है कि एनीकट में अनियमितता बरती गई है।
बारिश की कमी है
गुढ़ाचन्द्रजी ग्राम पंचायत सचिव कैलाश चंद का कहना है कि कुछ वर्षों से बारिश में लगातार कमी बनी हुई है।इस कारण एनीकट भर नहीं पाते।इन एनीकटों को एक एनजीओ द्वारा बनाया गया है।

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