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इस जिले में इस कारण बेपटरी हुई मनरेगा

locationकरौलीPublished: Nov 11, 2019 11:59:17 pm

Submitted by:

Dinesh sharma

करौली. ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से संचालित राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) की जिले में चाल बिगड़ गई हैं।

इस जिले में इस कारण बेपटरी हुई मनरेगा

इस जिले में इस कारण बेपटरी हुई मनरेगा

दिनेश शर्मा
करौली. ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से संचालित राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) की जिले में चाल बिगड़ गई हैं। इसका नमूना है जिले की 227 ग्राम पंचायतों में से वर्तमान में 188 पंचायतों में कार्य तो चल रहे हैं, लेकिन इन पर महज करीब 14 हजार श्रमिक कार्यरत हैं। जबकि कुछ माह पहले की स्थिति देखें तो श्रमिकों की संख्या 34 हजार से भी अधिक थी।
ग्राम पंचायतों में रेंगते कार्यों के पीछे एक बड़ा कारण जिला परिषद के सबसे बड़े अधिकारी के अलावा मनरेगा में भी प्रमुख पदों के लम्बे समय से रिक्त होना है। ऐसे में जिला परिषद से मनरेगा कार्य स्वीकृत नहीं होने से श्रमिकों को रोजगार भी नहीं मिल पा रहा है। मनरेगा की बिगड़ी चाल से कार्य स्वीकृत नहीं हो पाने को लेकर गत दिनों कई सरपंचों ने जिला कलक्टर को ज्ञापन भी सौंपा था।
जिले में कहां कितने कार्य
जिले की 6 पंचायत समितियों में कुल 227 ग्राम पंचायतें हैं। वर्तमान में मनरेगा कार्य संचालन में हिण्डौन पंचायत समिति में वैसे तो 52 में से 44 ग्राम पंचायतों में कार्य संचालित हैं, लेकिन इन पर कार्यरत श्रमिकों की संख्या महज 1237 है।
अन्य पंचायत समितियों की स्थिति भी कोई खास अच्छी नहीं है। करौली पंचायत समिति की 46 पंचायतों में से 37 में कार्य चल रहे हैं, जिन पर 2381 श्रमिक, मण्डरायल की 23 में से 21 पंचायतों में 3061 श्रमिक, नादौती की 29 में से 27 पंचायतों में 510, सपोटरा की 34 में से 23 पंचायतों में 4451 श्रमिक तथा टोडाभीम की 43 ग्राम पंचायतों में से 36 पंचायतों में चल रहे कार्यों पर 2446 श्रमिक कार्यरत हैं।
जून में 34 हजार से अधिक थी संख्या
जिले में मनरेगा कार्यों की जून माह की स्थिति देखें तो उस समय 34 हजार से अधिक श्रमिक कार्यरत थे। यानि करीब साढ़े चार माह की अवधि में ही यह संख्या अब घटकर आधी से कम रह गई है। जिला परिषद सूत्र बताते हैं कि मुख्य कार्यकारी अधिकारी सहित अन्य पदों के रिक्त होने से मनरेगा की चाल बिगड़ी हुई है। ना तो कार्यों की पर्याप्त मॉनीटरिंग हो पा रही और ना ही समय पर स्वीकृति निकल पा रही है।

कार्य स्वीकृत ही नहीं हो रहे
मनरेगा कार्य ना तो स्वीकृत हो रहे ना कार्यों का भुगतान हो रहा। कई बार अधिकारियों को इससे अवगत कराया, तो अधिकारी कहते हैं कि तकनीकी समस्या है, लेकिन तकनीकी समस्या को बताते ही नहीं है। ऐसे में श्रमिकों को रोजगार नहीं मिल पा रहा। गत चार-पांच माह से यही स्थिति बनी हुई है।
रेशम मीना, जिलाध्यक्ष सरपंच संघ करौली


अब स्वीकृति में लाएंगे तेजी
मनरेगा की पत्रावलियां की अब तेजी से स्वीकृत की जाएंगी। बीच में सामग्री की टेण्डर प्रक्रिया के कारण भी कुछ परेशानी आई। स्वीकृति भी रुक गई थी।
प्रकाशचन्द मीना,मुख्य कार्यकारी अधिकारी, करौली
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