कस्बा निवासी दिनेश सिंघल ने बताया कि सुबह वानरों ने घर के आंगन में खेल रहे तीन वर्षीय पुत्र पर हमला कर दिया। बच्चे की चीखने की आवाज़ सुन परिजन कमरों से बाहर निकले तो बंदरों की टोली उसे छत की ओर खींच रही थी। परिजनों के एक साथ लाठियों लेकर आने पर बंदरों को भगाया गया। बंदरों ने बच्चे के पैर को जख्मी कर दिया। जिसका सामुदायिक चिकित्सालय ले जा कर प्राथमिक उपचार कराया गया।
घरों की छत पर जाना हुआ दूभर-
ग्रामीणों ने बढ़ते वानरी उत्पात से लोग घरों की छतों पर जाने से डरने लगे हैं। न जाने कर बंदरों की टोली आ धमके। दरवाजे खुले रहने पर बन्दर घरों मे अंदर घुस कर समान उठा ले जाते हैं। उपसरपंच श्याम सुन्दर सैनी ने बताया कि बंदरों को पकड़ कर जंगल में छुडबाने के लिए कई बार जिला कलक्टर को पत्र लिख चुके हैं।
ग्रामीणों ने बढ़ते वानरी उत्पात से लोग घरों की छतों पर जाने से डरने लगे हैं। न जाने कर बंदरों की टोली आ धमके। दरवाजे खुले रहने पर बन्दर घरों मे अंदर घुस कर समान उठा ले जाते हैं। उपसरपंच श्याम सुन्दर सैनी ने बताया कि बंदरों को पकड़ कर जंगल में छुडबाने के लिए कई बार जिला कलक्टर को पत्र लिख चुके हैं।
वही पंचायत की निजी शुल्क वसूलकर उसी शुल्क से बंदरों को कस्बे से पकड़कर भरतपुर के केवलादेव घना पक्षी विहार मे छोडऩे की योजना का प्रस्ताव पंचायत की पाक्षिक सभा मे प्रस्ताव रखा है। स्थिति यह है बंदरों के हमलों से डरे लोगों का घर में खुले बैठना मुश्किल हो रहा है। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है की प्रसाशन गाँवो के संग अभियान के शिविर मे पहले दिन दो अक्टूबर को बंदरो ं के पकड़ा कर बाहर नहीं छुडवाया गया तो आंदोलन किया जाएगा।