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करौली

काम मांगने के बाद कार्य स्थलों पर नहीं पहुंच रहे आधे से अधिक श्रमिक

More than half of the workers are not reaching the workplaces after asking for work
इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना

करौलीNov 16, 2022 / 10:57 pm

Anil dattatrey

 काम मांगने के बाद कार्य स्थलों पर नहीं पहुंच रहे आधे से अधिक श्रमिक

काम मांगने के बाद कार्य स्थलों पर नहीं पहुंच रहे आधे से अधिक श्रमिक

हिण्डौनसिटी. शहर में गांवों की भांति लोगों को 100 दिन का रोजगार देने के लिए मनरेगा के तर्ज पर शुरू की गई इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गांरटी योजना ढाई माह बाद भी परवान नहीं चढ़ सकी है। रुझान की कमी के चलते रोजगार मांगने वाले लोग नियोजित होने के बाद नियमित कार्य स्थलों पर काम करने नहीं पहुंच रहे हैं। बीते पांच पखवाडे में नियोजित श्रमिकों की संख्या का औसत 45 फीसदी से नीचे है। कमोबेश यहीं स्थति बुधवार से शुरू हुए छठवें पखवाड़े की रही। जिसमें रोजगार मिलने पर 620 में से 350 श्रमिक ही कार्य स्थल पर पहुंचे।
प्रदेश स्तरीय शुभारंभ के साथ नगर परिषद क्षेत्र में 9 सितम्बर से शहरी रोजगार गारंटी योजना की शुुरुआत हुई। सभी वार्डों के जरुरतमंद लोगों को रोजगार देने के लिए शहर में मिट्टी खुदाई से लेकर शौचालयों की सफाई करने समेत 101 कार्य चिह्नित किए। लेकिन अभी तक चार-पांच प्रकार के कार्यों ही शुरु हो सके हैं। मंगलवार को पूरे हुए पांचवे पखबाडे तक 393 मस्टररोल जारी कर रोजगार की मांग कर रहे 3856 महिला-पुरुषों को काम दिया था। लेकिन कार्य स्थलों पर एकाध दिन आने के बाद मोहभंग होने से श्रमिक मस्टररोल पर पूरी अवधि तक हाजिर नहीं हुए। ऐसे मेें पांच पखबाडे में औसत श्रमिक संख्या 1774 ही हो सकी। जो नियोजित श्रमिकों की तुलना में महज 44.45 प्रतिशत है। दिनोदिन बढ़ती बेरोजगारी के दौर में साफ-सफाई सहित अधिकांश कार्य लोगों की अरुचि व श्रमिकों के अनुपलब्धता से शुरू नहीं हो सके हैं। गौरतलब है कि नगर परिषद क्षेत्र में शहरी रोजगार गारंटी योजना में रोजगार पाने के लिए 3711 जॉब कार्ड जारी हुए हैं। जॉब कार्ड में सदस्यों के औसत के नगर परिषद में करीब 16 हजार लोग श्रमिक के तौर पर पंजीकृत हैं।

कार्यों को 1 करोड़ 41 लाख रुपए का अनुमोदन
पहली तिमाही में कार्यों के लिए 1 करोड़ 41 लाख रुपए का अनुमोदन किया था। सूत्रों के अनुसार प्रहलाद कुण्ड पर 9.5 लाख व जलसेन में 8.5-8.5 लाख रुपए के कार्य हुए हैं। जबकि श्रमिकों की अनुपलब्धता से 40 लाख के सड़क-नाली सफाई व 30 लाख रुपए के लागत का घर-घर कचरा संग्रहण के कार्य शुरू नहीं हो सके हैं।
तीन पखबाड़ों का हुुआ भुगतान-
शहरी रोजगार गारंटी योजना में पांच पखबाड़ों में से पहले तीन पखवाड़े में कार्य करने वाले श्रमिकों को मेहनताने का भुगातन मिला है।
नगर परिषद सूत्रों के अनुसार तीन पखवाड़े में नियोजित किए श्रमिकों को 19लाख 60 हजार रुपए का भुगतान किया जा चुका है। चौथे व पांचवे पखबाड़े के श्रमिकों का करीब 10 लाख रुपए का भुगतान लंबित है।

इनका कहना है-
नियोजित श्रमिकों के नियमित नहीं आने औसत संख्या कम है। हालांकि कोई श्रमिक शून्य कार्य वाला नहीं है। लोगों की सुविधा और रुझान विकसित करने के लिए अब वार्ड स्तर पर कार्य कराए जाएंगे।
प्रेमराज मीणा, प्रभारी,
इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना
फोटो
हिण्डौनसिटी. जलसेन तालाब पर मिट्टी खुदाई कार्य करते श्रमिक।

फैक्ट फाइल
पखबाड़ा मस्टरोल नियोजित औसत श्रमिक
पहला 40 400 152
दूसरा 40 400 277
तीसरा. 77 696 477
चौथा 85 850 252
पांचवा. 151 1510 586
छठवां 62 620 350

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