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मां ने तोड़ी सामाजिक बंदिश, फिर बेटी ने किए सपने पूरे

locationकरौलीPublished: Sep 16, 2019 06:39:01 pm

Submitted by:

vinod sharma

करौली. पिता की मौत के बाद निरक्षर मां ने खेती करके अपनी बेटी को पढ़ाया लिखाया। इस बीच उसने (Mother breaks social restrictions, daughter fulfills dreams) समाज की बंदिशों की परवाह भी नहीं की, आज वह बेटी करौली कॉलेज में एसोशिएट प्रोफेसर बनकर बुढ़ापे में मां का सहारा बनी है।

मां ने तोड़ी सामाजिक बंदिश, फिर बेटी ने किए सपने पूरे

मां ने तोड़ी सामाजिक बंदिश, फिर बेटी ने किए सपने पूरे

करौली. पिता की मौत के बाद निरक्षर मां ने खेती करके अपनी बेटी को पढ़ाया लिखाया। इस बीच उसने (Mother breaks social restrictions, daughter fulfills dreams) समाज की बंदिशों की परवाह भी नहीं की, आज वह बेटी करौली कॉलेज में एसोशिएट प्रोफेसर बनकर बुढ़ापे में मां का सहारा बनी है।
यह कहानी है करौली के राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में वनस्पति शास्त्र की एसोसिएट प्रोफेसर रमेशी मीना की, जो समीप के मामचारी गांव की निवासी है। वह विवाहिता है लेकिन ससुराल से सामजंस्य-समन्वय करके अपनी मां का सहारा बनी है। रमेशी के पिता खिलाड़ी मीना ने दो बहनों की शादी पहले कर दी। उनकी तमन्ना रमेशी को पढ़ाकर अधिकारी बनाने की थी। इस कारण उन्होंने पढ़ाई के लिए रमेशी को करौली भेज दिया।
इस बीच २००८ में एमएससी प्रवेश की तैयारी के दौरान ही पिता का निधन हो गया, जिससे उस पर दु:खों का पहाड़ टूट गया। उसके भाई नहीं था, जिससे लगा कि अब आगे की पढ़ाई नहीं हो पाएगी। रमेशी बताती है कि कुछ दिन बाद ही कुटम्ब के लोग मां रामफूली पर उसकी शादी का दबाव बनाने लगे। कहते थे जवान बेटी को बिना शादी के घर रखना ठीक नहीं है, पढऩा होगा तो ससुराल में पढ़ लेगी लेकिन उसकी मां ने साफ मना कर दिया और कहा कि बेटी को अधिकारी बनाकर ही शादी करेगी। पढ़ाई के खर्चे के लिए मां खेती को संभालने लगी। मां से सम्बल मिलने के बाद रमेशी ने लगन के साथ पढ़ाई की। उसकी मेहनत रंग लाई और उसे जनवरी 2012 में करौली राजकीय महाविद्यालय में वनस्पतिशास्त्र की एसोशिएट प्रोफेसर के पद पर नियुक्ति मिल गई।
शादी के बाद भी मां को संभाल रही
मई २०१४ में रमेशी की शादी सवाईमाधोपुर जिले के गम्भीरा-भाड़ौती निवासी कृषि वैज्ञानिक चन्द्रप्रकाश मीना से हुई। शादी के बाद से रमेशी मीना ने ससुराल पक्ष से तालमेल किया हुआ है जिससे वह गांव में रहकर मां का सहारा बनी है। वह कभी अपनी मां को अकेला नहीं छोड़ा है। वह सरकारी नौकरी के दौरान मां को करौली में अपने साथ रखना चाहती थी लेकिन मां ने गांव छोडऩे से मना कर दिया। इस कारण रमेशी मां के साथ मामचारी गांव में रहती है। मां ७० साल की हुई है जिसकी देखभाल वह बेटे की तरह से करती है। कॉलेज आने से पहले मां से आर्शीवाद लेकर निकलती है। मां की सेवा करना दिनचर्या का हिस्सा है। रमेशी के पति चन्द्रप्रकाश मीना जैसलमेर में कार्यरत है। वह ससुराल में नियमित आती-जाती रहती है। पति भी गांव आ जाते हैं। कुल मिलाकर सामजंस्य से वह मां का सहारा बनी है। मां भी कहती है कि बेटा नहीं तो क्या हुआ, रमेशी बेटे की तरह कर रही है सेवा।
केएल, सीए। करौली. अपनी मां के साथ रसोई में रमेशी मीना।
सीबी, करौली. मां तथा अपने बेटे के साथ रमेशी मीना।
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