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सांसारिकता त्याग पकड़ी वैराग्य की राह

locationकरौलीPublished: Dec 05, 2017 12:30:09 pm

Submitted by:

vinod sharma

हिण्डौनसिटी ञ्च पत्रिका. मध्य प्रदेश के झारड़ा कस्बे निवासी अमिता चौरडिय़ा ने सांसारिक मोह माया त्याग कर वैराग्य की राह पकड़ी है। हिण्डौनसिटी में सोमव

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हिण्डौनसिटी ञ्च पत्रिका. मध्य प्रदेश के झारड़ा कस्बे निवासी अमिता चौरडिय़ा ने सांसारिक मोह माया त्याग कर वैराग्य की राह पकड़ी है। हिण्डौनसिटी में सोमवार को दीक्षा महोत्सव में भारी जनसमूह व जैन मुनियों व साध्वियों की साक्षी में 31 वर्षीय अमिता ने जैनश्वरी दीक्षा ग्रहण कर ली। अब अमिता, साध्वी मंत्रनिधि बन गईं हैं। भगवान महावीर का संदेश जन-जन तक पहुंचाने में अब वो इस नाम से जानी जाएंगी। जैन मुनि गणिवर्य धैर्यसुंदर विजय व निर्मोह सुंदर विजय ने जैन मंत्रोंच्चारण के बीच उन्हें विधि- विधान से दीक्षा ग्रहण कराई। इसके बाद मंत्रनिधि अपनी गुरु साध्वी धैर्यनिधि के ससंघ में शामिल हो गई। मोहननगर के राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक स्कूल के खेल मैदान में बनाए गए श्री प्रेम भुवनभानु संयम वाटिका में दीक्षा महोत्सव स्थल पर सुबह साढ़े आठ बजे ज्योतिनगर में महावीर जैन व नवीन जैन के घर बनाए गए अस्थायी आवास से बरघोड़ा के रूप में अमिता को लाया गया। बैंडबाजों की धुनों पर अमिता के साथ उत्साहित सैकड़ों युवा भी नृत्य करते हुए पहुंचे। दीक्षा स्थल पहुंचने पर जैन मुनि धैर्य सुंदर विजय एवं निर्मोह सुंदर विजय ने मंगलाचरण की रस्में पूरी कराईं और जैन मंत्रों के बीच दीक्षार्थी को ओघा प्रदान किया। इसे पाकर दीक्षार्थी हर्ष से झूम उठी। वे ओघा लेकर मंच पर ही भगवान के समोत्सरण के समक्ष कुछ देर तक नृत्य करतीं रहीं।
दीक्षा स्थल पर ओघा मिलने और आभूषणों के त्याग के बाद महोत्सव स्थल से दीक्षार्थी को विवेकानंद पार्क के पास पदमचंद जैन के आवास पर ले जाया गया। वहां साध्वी धैर्य निधि के सान्निध्य में परिजनों ने दीक्षार्थी को केसर आदि से अंतिम स्नान कराया। उसके बाद उन्होंने अपने सांसारिक वस्त्रों को भी त्याग दिया। वहां से वे साध्वी वस्त्रों में महोत्सव स्थल पहुंची। वहां उनकी एक झलक के लिएलोग आतुर हुए और दीक्षार्थी के जयकारे गूंजे। लोगों ने अक्षत डालकर उनकी अनुमोदना की। लोगों के साथ जैन मुनि और साध्वियों ने भी उन पर अक्षत वर्षा कर आशीर्वाद दिया।
जैन मुनि धैर्यसुंदर विजय की पहली दीक्षार्थी बनीं अमिता को उन्होंने नया नाम मंत्रनिधि दिया है। नामकरण से पहले विधि विधान से मंत्रनिधि को दिनचर्या के आवश्यक उपकरण कामली, दांडा, पौथी, चरबला, दंडासन, पूजणी, संथारा, मुंहपट्टी, पातरा, वस्त्र आदि प्रदान किए गए। इन उपकरणों को साध्वी को प्रदान करने से पहले पांडाल में इनकी बोली भी लगाई गई, इसमें श्रावक-श्राविकाओं ने उत्साह दिखाया।
महोत्सव स्थल पर जब साध्वी की केश लोच हुए तो एक बारगी पांडाल में सन्नाटा छा गया और लोग भावुक हो गए। केश लोच साध्वी धैर्य निधि ने साध्वी बनी मंत्रनिधि की मां को प्रदान किए। महोत्सव में एसडीओ शेरसिंह लुहाडिय़ा, थानाप्रभारी आध्यात्म गौतम, नगर परिषद सभापति अरविंद जैन विशेष रूप से उपस्थित रहे। इन सभी का श्री जैन श्वेतांबर पल्लीवाल सकल संघ के पदाधिकारियों ने बहुमान किया। महोत्सव का संचालन चेन्नई से आए मोहनभाई व मनोज भाई ने भजनों की प्रस्तुति के साथ किया। जैन धर्मालंबियों के साथ शहर के अन्य समाजों के महिला-पुरूष भी काफी संख्या में उपस्थित थे। शहर में पहली बार हुए दीक्षा महोत्सव को देख सभी अभिभूत हो गए।
…और जैन उपाश्रय के लिए किया विहार
दीक्षा महोत्सव के समापन के बाद साध्वी मंत्रनिधि अपनी गुरु साध्वी धैर्यनिधि के साथ मोहननगर के जैन उपाश्रय के लिए विहार कर गईं।

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