महिला एवं बाल विकास विभाग की व्यवस्था के अनुसार अभी तक विभाग की परियोजनाओं को शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्र यानि दो भागों में बांटा हुआ था।
शहरी परियोजना का नाम समाप्त करने से संबंधित परियोजनाओं की कार्मिकों, आंगनबाड़ी पाठशालाओं की कार्मिकों का कामकाज स्थानीय स्तर पर ही हो सकेगा। उन्हें अब हिण्डौनसिटी नहीं जाना पड़ेगा। इसके अलावा बड़ा फायदा यह होगा कि केन्द्रों की चयन प्रक्रिया में सुविधा मिलेगी। पहले शहरी क्षेत्र के नाम से एक सीडीपीओ होते, जबकि चयन समिति के अध्यक्ष संबंधित एसडीओ होते थे, ऐसे में चयन प्रक्रिया में काफी समय लगता।
विभाग के सूत्रों के अनुसार हिण्डौन शहरी क्षेत्र के 71 केन्द्रों के अलावा ग्रामीण क्षेत्र के 263 केन्द्र हैं। इसी प्रकार करौली परियोजना में 52 शहरी केन्द्रों के अलावा 298 केन्द्र हैं।
जिले में विभाग की 6 परियोजनाएं संचालित होंगी। इनमें हिण्डौन, सपोटरा, टोडाभीम, नादौती, करौली तथा मण्डरायल शामिल हैं।
मण्डरायल में विभाग की परियोजना नवसृजित की गई है। पहले मण्डरायल क्षेत्र की आंगनबाड़ी पाठशालाएं सपोटरा परियोजना के अधीन थी। 98 केन्द्रों को जोड़ते हुए मण्डरायल को पृथक से परियोजना बनाया गया है। इसमें करणपुर, मण्डरायल तथा लांगरा इलाके की आंगनबाड़ी पाठशालाएं जोड़ी गई हैं। इससे पहले सपोटरा में 176 आंगनबाड़ी केन्द्र रह गए हैं।
जिले में विभाग की हिण्डौन शहरी परियोजना की व्यवस्था को समाप्त कर सभी परियोजनाओं को समान कर दिया गया है। इससे चयन के लंबित मामलों में गति आएगी। वहीं कार्मिकों को सुविधा मिलेगी और आमजन को भी शहरी परियोजना से संबंधित कामकाज के लिए हिण्डौन नहीं जाना पड़ेगा।