दीवारों को इन्द्रधनुषी रंग देने वाले पेन्टर पिता हरी बाबू दिवंगत हो गए हैं, लेकिन अंजू के लिए अभावों की मजबूरी अब मजबूती दे रही है। पांच भाई बहिनों में तीसरे नंबर की अंजू ने पत्रिका को बताया कि उसके पिता जयपुर में पेन्टर का काम किया करते थे। लेकिन रोजमर्रा की कमाई से पढ़ाई तो दूर परिवार का गुजारा भी मुश्किल से हो पाता था। ऐसे में पिता ने उसे जयपुर के एक सरकारी विद्यालय में दाखिला दिलाया। जहां से उसने आठवीं कक्षा उतीर्ण की। पिता के रोजगार में कमी आई तो परिवार में तंगहाली भी बढ़ गई। इस पर पूरा परिवार वापस गांव आ कर रहने लगा।
हताशा के बाद मिली सफलता-
इस बीच वर्ष 2013 में अंजू ने शिक्षक भर्ती परीक्षा दी, लेकिन रीट के अंकों के विवाद के चलते परीक्षा परिणाम पर न्यायालय ने रोक लगा दी। इससे वह एक बार फिर से हताश हो गई। लेकिन वर्ष 2017 में परीक्षा का परिणाम आया तो अंजू ही नहीं वरन पूरे परिवार की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। वह अब तृतीय श्रेणी शिक्षिका जो बन चुकी थी। सरकार ने 2 नवम्बर 2017 को धौलपुर जिले के सैपऊ उपखंड के कोलुआ पुरा स्थित राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय में उसे नियुक्ति दे दी। लेकिन इसके ठीक पांच माह बाद ही उसके पिता हरीबाबू की सडक़ हादसे में मृत्यु हो गई।