करौली

इस जिले में अतिकुपोषित बालकों की जान से खिलवाड़

करौली. अतिकुपोषित व कुपोषित बालक-बालिकाओं के वजन तोलने के लिए जिले के १२६० आंगनबाड़ी केन्द्रों पर उपलब्ध कराई गई अधिकांश मशीन डेढ साल में खराब हुई हैं। (Play with the life of underage children in this district) इस कारण बालकों का वजन अंदाजे (अनुमान) किया जाता है। इस बारे में महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों को पता होने पर भी उन्होंने वैकल्पिक प्रबंध नहीं किए हैं।

करौलीSep 18, 2019 / 12:27 pm

vinod sharma

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करौली. अतिकुपोषित व कुपोषित बालक-बालिकाओं के वजन तोलने के लिए जिले के १२६० आंगनबाड़ी केन्द्रों पर उपलब्ध कराई गई अधिकांश मशीन डेढ साल में खराब हुई हैं। (Play with the life of underage children in this district) इस कारण बालकों का वजन अंदाजे (अनुमान) किया जाता है। इस बारे में महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों को पता होने पर भी उन्होंने वैकल्पिक प्रबंध नहीं किए हैं।
केन्द्र सरकार की पिछड़े जिलों की सूची में शामिल करौली जिले को २०२२ तक कुपोषण से मुक्ति दिलाने का लक्ष्य केन्द्र सरकार ने निर्धारित किया हुआ है। इसी क्रम में बीते साल नीति आयोग के अफसरों ने इससे सम्बंधित अधिकारियों की बैठक लेकर कुपोषण के खात्मे की दिशा में काम करने के निर्देश दिए थे। इस दौरान महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों ने बताया कि केन्द्रों पर वजन तोलने की मशीन का अभाव है। मशीन की कमी से बालकों के वजन का पता नहीं चलता है। ऐसे में कुपोषण की स्थिति का भी आकलन करना मुश्किल होता है। इस पर बैठक में तत्कालीन जिला कलक्टर ने चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के कोष से जिले के आंगनबाड़ी केन्द्रों को वजन लेने की मशीन उपलब्ध कराने के आदेश दिए। अप्रेल २०१८ में १२६० मशीन जिले के आंगनबाड़ी केन्द्रों के लिए उपलब्ध करा दी गईं। सवा वर्ष में अधिकांश केन्द्रों पर यह मशीन खराब हुई पड़ी है।
बालक की शक्ल देख लिखती वजन
आंगनबाड़ी केन्द्रों पर प्रति माह कुपोषित व अतिकुपोषित बालक-बालिकाओं को चिन्हित किया जाता है। विभाग के नियमों के अनुसार ० से ५ साल तक के बालक-बालिकाओं का वजन के मापदण्ड़ों के अनुसार नहीं होने पर उसे अतिकुपोषित व कुपोषित की सूची में डाला जाता है। चूंकि अब मशीन खराब हैं तो आंगनबाड़ी कार्यकर्ता बच्चे की शक्ल और अनुमान के आधार पर वजन करके कुपोषण का आकलन करती है। राजस्थान पत्रिका की टीम ने मंगलवार को पुरानी सब्जी मंडी, हटवाड़ा, ट्रक यूनियन, बस स्टैण्ड आदि मोहल्लों में संचालित आंगनबाड़ी केन्द्रों पर मशीनों का जायजा लिया तो यह मशीन खराब ही पाई गई।
ये है नुकसान
वजन तोलने की मशीन खराब होने से वास्तविक रूप से अतिकुपोषित व कुपोषित बालक-बालिकाओं का वैज्ञानिक तरीके से चयन नहीं हो पाता है। इससे उन्हें अतिरिक्त पोषाहार नहीं मिलता है। पोषाहार के अभाव में बालक और कमजोर हो जाता है तथा बीमारियों की चपेट में आने की आशंका रहती है।

बैठक में उठ चुका मुद्दा
आंगनबाड़ी केन्द्रों पर वेट मशीन खराब होने का मुद्दा जिला कलक्टर व उपजिला कलक्टर की अध्यक्षता में हुई बैठकों में उठ चुका है, जिसमें बताया कि मशीन खराब होने से अतिकुपोषित व कुपोषित बालकों को चिन्हित मापदण्ड़ों के अनुसार नहीं हो पा रहा है। महिला एवं बाल विकास विभाग की अधिकारी ने सोमवार की बैठक में भी यह मुद्दा उठाया था।

अब मशीनों को ठीक कराएंगे
मशीन खराब है, जिससे परेशानी आ रही है। लेकिन आशा सहयोगनियों के पास कुछ मशीन सही हंै। उनसे वजन करके काम चलाते है। इस बारे में उच्च अधिकारियों को पत्र भेज मशीनों को ठीक कराने की मांग की जाएगी।
शांति वर्मा उपनिदेशक महिला एवं बाल विकास विभाग करौली

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