लॉकडाउन से निर्धनों को हुआ रोटी का संकट
करौलीPublished: May 08, 2021 08:08:41 pm
लॉकडाउन से निर्धनों को हुआ रोटी का संकटमजदूरी बंद होने से घर चलाना हुआ मुश्किलबीते साल सहायता बांटने वाले इस बार गायबकरौली. कोरोना के संकट काल में लगातार लॉकडाउन की स्थिति के चलते निर्धन वर्ग परेशानी में है। रोजाना मजदूरी करके पेट भरने वाले निर्धन वर्ग के लोगों के समक्ष रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। इस बार के लॉक डाउन में भामाशाह तथा राजनेता भी निर्धन लोगों की मदद को आगे नहीं आ रहे हैं।
लॉकडाउन से निर्धनों को हुआ रोटी का संकट
लॉकडाउन से निर्धनों को हुआ रोटी का संकट
मजदूरी बंद होने से घर चलाना हुआ मुश्किल
बीते साल सहायता बांटने वाले इस बार गायब
करौली. कोरोना के संकट काल में लगातार लॉकडाउन की स्थिति के चलते निर्धन वर्ग परेशानी में है। रोजाना मजदूरी करके पेट भरने वाले निर्धन वर्ग के लोगों के समक्ष रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। इस बार के लॉक डाउन में भामाशाह तथा राजनेता भी निर्धन लोगों की मदद को आगे नहीं आ रहे हैं।
लॉकडाउन के कारण अधिकांश छोटे-छोटे धंधे चौपट हो गए हैं और मजदूर वर्ग हाथ पर हाथ रखकर बैठा हुआ है। रोजाना मेहनत- मजदूरी करने वाले बेलदार, कुली, ठेली वाले, मिस्त्री, कारपेंन्टर, मौची आदि दिहाडी मजदूरों के लिए परिवार का पालन करना मुश्किल हुआ है। ऐसे मजदूरों तथा खेती से जुड़े खेतीहर मजदूरों को भी कोराना महामारी में सरकार की एडवाइजरी की पालना के तहत घरों पर बैठा रहना पड़ रहा है।
मजदूर कहते हैं कि रोज मजदूरी कर जो पैसा आता था उससे आटा, दाल, तेल आदि खरीद कर अपने परिवार का पेट भरते थे। लेकिन लॉक डाउन से मजदूरी बंद हुई है। ऐसे में मजबूरन घर बैठा रहना पड़ रहा है। जमा पूंजी से पेट भर रहे हैं या फिर उधारी से काम चलाना पड़ रहा है।
पिछले वर्ष की कोरोना लहर में हुए लॉक डाउन के दौरान प्रशासन के अलावा अनेक भामाशाहों ने आटा, दाल, अनाज, चीनी, तेल, साबुन, मसाले आदि दैनिक उपयोग की सामग्री वितरित की थी। उस दौरान तो तलाश करके राशन सामग्री पहुंचाने सहित अन्य मदद की गई थी।
इसके अलावा मास्क, सेनेटाइजर, डिटॉल साबुन आदि भी बांटे गए थे। इससे निर्धन लोगों को काफी संबल मिला था।
इस बार न प्रशासन मदद कर रहा है और न भामाशाहों की ओर से जरूरतमंदों की मदद के प्रयास किए जा रहे हैं।
को इस विषम समय में सहायता पहुंचाने की दिशा में कोई प्रयास नहीं किये जा रहे है।
ग्रामीण लोग कहते हैं कि अगर सरकार ने निर्धन वर्ग के लोगों को मदद की कोई राहत योजना शुरू नहीं की तो इस आपदा में अनेक निर्धन परिवारों के भूखे मरने की नौबत आ जाएगी।