एक सप्ताह पहले तक भी स्थिति में बदलाव नहीं दिख रहा था। हालत यह थी कि करौली शहर के बीच बापू विद्यालय में भी टीके के लिए शिविर आयोजित किए जाने पर दिनभर में 50 लोग भी टीके लगवाने को नहीं पहुंचे थे। बेहतर रेस्पांस नहीं आने पर प्रशासन ने दो दिन बाद यहां पर टीकाकरण बंद कर डाला था। चिकित्सा विभाग के आंकड़ों के अनुसार 30 अप्रेल को 13.77 तथा 1 मई को 12.68 प्रतिशत लोग ही निर्धारित लक्ष्य के मुकाबले में वैक्सीन लगवाने के टीकाकरण केन्द्रों पर पहुंचे।
टीकाकरण के प्रति लोगों में जागरूकता की कमी को लेकर प्रशासन व चिकित्सा अधिकारी हैरत भी करते रहे।
लेकिन अब कोरोना संक्रमण की भयावहता के मामले बढऩे के साथ ही तीन-चार दिनों से यह स्थिति बदल गई है। अब वैक्सीन लगवाने के लिए कतार में इंतजार करने तक की नौबत आने लगी है। इतना ही लोग वैक्सीन के लिए सिफारिश तक कराने लगे हैं। टीकाकरण के ताजा आंकड़ों के अनुसार 10 मई को 65 प्रतिशत तथा 11 मई को 83 प्रतिशत तक वैक्सीनेशन विभाग के तय लक्ष्य के मुकाबले में किया गया।
जानकारों का मानना है कि वैक्सीनेशन के सकारात्मक प्रभाव और बढ़ते कोरोना संक्रमण के खतरे की खबरों के प्रचारित होने के बाद यह बदलाव आया है। अब कुछ दिनों से तो हालत यह हो गई है कि वैक्सीनेशन के लिए सिफारिशें कराई जाने लगी हैं।