वरिष्ठ अधिवक्ता लखन लाल गोयल ने कहा के आम चुनाव है राष्ट्रीय मुद्दों पर होगा, लेकिन स्थानीय तौर पर विकास का मुद्दा हावी रहेगा। बीते पांच साल में हिण्डौन विधानसभा क्षेत्र में सांसद की ओर से विकास के नाम पर कहने के लिए कुछ नहीं है। कोर्ट परिसर में ही स्थान और भवन का टोटा है। विकास के मुद्दे बहु़त हैं, बस काम करने वाला चाहिए।
अधिवक्ता सुरेंद्रकांत बारौलियां ने कहा कि सरकार ने काम अ’छा किया, योजनाए भी ठीक–ठीक थी, लेकिन भ्रष्टाचार के चलते जरुरतमंद तक नहीं पहुंच सकी। चुनाव में भ्रष्टाचार मुक्त भारत का मुद्दा होगा। युवा अधिवक्ता पुष्पेंद्र शर्मा का कहना कि विकास के मामले में अनदेखी भारी पड़ सकती। विकास के लिए धौलपुर की तुलना में करौली जिले पर कम ध्यान दिया गया। हिण्डौन को केन्द्र की बड़ी योजना विकास करी राह नहीं दिखा सकी।
कई बार अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष रहे हरीशंकर वशिष्ठ ने कहा कि नीतिगत फैसलों और योजनाओं का जमीनी हकीकत और दूरगामी असर देख लागू करना चाहिए। किसानों को फसली कर्ज माफ करने की बजाय कृषि बिजली मुफ्त दी गए, ताकि किसान पर कर्ज के बोझ में दबे ही नहीं। नौकरशाह से लेकर कर्मचारी तक के तबादलों की राष्ट्रीय नीति बने, राजनीतिक डिजायर (अभिशंषा) पर रोक लगे ताकि अधिकारी हर सरकार में दबाव मुक्त रह कार्य करेंगे।
अधिवक्ता भरतलाल भोजवाल का कहना है कि गांवों के विकास की अनदेखी और पूरे नहीं हो सके वादे चुनावों में प्रमुख मुद्दा रहेगा। अधिवक्ता अमृत खटाना का कहना था कि जनता से जुड़ी सुविधाओं की अनदेखी का चुनावी माहौल में खासा असर रहेगा। केन्द्रीय विभागों के कार्यालयों का पिछड़ापन दूर नहीं हो सका। चाहे रेलवे स्टेशन पर यात्री सुविधाएं हों, या भारत संचार निगम व पोस्टऑफिस कार्यालय के पांच साल में हालात नहीं बदले।
अधिवक्ता खेमसिंह गुर्जर ने कहा कि क्षेत्र में चम्बल के पानी लाने के नाम पर योजना का नाम बदल दिया। पांच साल में चम्बल का पानी आना तो दूर पुरानी आबादी में नई टंकी नहीं बन सकी है। करौली में डांग पर्यटन का विकास इस बार प्रमुख मुद्दों में शुमार होगा। उत्तर भारत में पहाडियों में पर्यटन हो सकता है। यहां डांग के बीहड़ों में संभावनाएं तलाशी जाएं। ताकि खनन के साथ पर्यटन भी आय का जरिया बन सके।