आस्था की डोर से डाबरा में पर्यावरण की रक्षा,हजारों पौधे रौंपे, वन क्षेत्र बचाया पेड़ काटने पर लगाया ५१०० रुपए का जुर्माना
करौलीPublished: Jun 05, 2019 06:23:33 pm
Protecting the Environment in Dabra with the Door of Faith
आस्था की डोर से डाबरा में पर्यावरण की रक्षा,हजारों पौधे रौंपे, वन क्षेत्र बचाया पेड़ काटने पर लगाया ५१०० रुपए का जुर्माना
करौली. सपोटरा तहसील के डाबरा गांव के युवाओं ने आस्था की डोर से पर्यावरण की रक्षा की है। जिससे डाबरा के लोक देवता क्षेत्रपाल बाबा का आठ बीघा का पहाड़ी व समतली एरिया हरा-भरा हो गया है। इस एरिया में १३ साल से कुल्हाड़ी बंद है, पेड़ काटने पर ५१०० रुपए जुर्माना व सामाजिक बहिष्कार की चेतावनी भी जारी की हुई है। क्षेत्रपाल बाबा का मंदिर 1176 से है, जहां पर भारी संख्या में पेड़ थे। लेकिन आजादी के बाद लोग इस क्षेत्र से पेड़ काटने लग। हरे पेड़ों पर कुल्हाड़ी चलने से पहाड़ी वीरान होने लगी। जिस पर गांव के युवाओं ने चिंता जताई। वर्ष २००६ में युवाओं ने मंदिर में ग्रामीणों की बैठक बुलाई। जिसमें बताया गया कि क्षेत्रपाल बाबा के एरिया से लगातार वनों की कटाई होने से पहाड़ वीरान नजर आने लगे हैं। जिससे आस्था भी प्रभावित हो रही है। क्योंकि किदवंतियों से पता चलता है कि बाबा को हरियाली पसंद है। इसी दौरान युवाओं ने कुल्हाड़ी बंद व पौधारोपण का निर्णय किया। बैठक में ग्रामीणों की मौजूदगी में पेड़ों की कटाई पर सख्ती से प्रतिबंध लगाने व पेड़ काटने वालों पर ५१०० रुपए का जुर्माना लगाने का निर्णय भी किया गया। इसके लिए युवाओं के साथ पंच-पटेलों की समिति का गठन किया गया, जो पेड़ काटने वालों पर नजर रखने लगी।
हजारों की संख्या में पौधे लगाकर हरा-भरा किया
पेड़ों की कटाई पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने के बाद ग्रामीणों ने पहाड़ से लेकर जमीन तक हजारों की संख्या में पौधे लगा दिए है। जिनमें से लगभग पांच हजार छोटे-बड़े पेड़ जीवत है। इस कारण समूचा एरिया हरियाली से आच्छादित हो गया है। कभी वीरान नजर आने वाली पहाडिय़ों पर गहन हरियाली हो गई है। जन सहयोग से दो नलकूप स्थापित कर दिए है। विद्युत कनेक्शन लेकर पेड़ों की सिंचाई भी की जाती है। धौ, पीपल, नीम, आम के अलावा अनार, अमरुद जैसे पौधे भी लगाए गए है। बारिश के समय यह स्थान हरियाली से आच्छादित हो जाता है।
गांव के सरकारी कर्मचारियों का विशेष सहयोग
डाबरा गांव के जगंल को हरा-भरा करने में गांव से निकले सरकारी अधिकारी-कर्मचारियों का भी विशेष सहयोग है। सीनियर आईएएस अधिकारी से लेकर कर्मचारी जब भी गांव आते है तो पेड़ों की सारसंभाल के लिए जरूर जाते है। वे पेड़ों की सिंचाई तथा अन्य काम करना भी नहीं भूलते है। वे श्रमदान से लेकर आर्थिक सहयोग में पीछे नहीं रहते है। कर्मचारियों के इस कार्य के अन्य गांवों के लोग भी सराहना करते है।
सभी का सहयोग
डाबरा गांव के अधिकारी-कर्मचारी जब भी गांव जाते है तो पेड़ों की सारसंभाल जरुर करते है। इसके अलावा हर प्रकार के सहयोग के लिए भी तत्पर रहते है। युवा व ग्रामीणों की मेहनत भी काबिले तारीफ है।
डॉ. सुशील मीना वरिष्ठ अस्थि रोग राजकीय अस्पताल करौली
जुर्माने का प्रावधान है
डाबरा गांव के क्षेत्रपाल बाबा के पहाड़ों पर कुल्हाड़ी बंद कर दी गई है। पेड़ काटने पर 5100 रुपए व सामाजिक बहिष्कार की चेतावनी जारी की हुई है। हालांकि इनकाी जरुरत ही नहीं पड़ी। क्योंकि २००६ के बाद एक भी पेड़ नहीं काटा गया है।
कुम्हेर मीना अध्यक्ष क्षेत्रपाल धाम डाबरा