धरतीपुत्र जुटे मेह की अगवानी मे,कृषि विभाग ने तय किया बुवाई का लक्ष्य
गुढ़ाचन्द्रजी. काले मेघा काले मेघा पानी तो बरसाओ… कुछ इसी उम्मीद को लेकर धरतीपुत्र मेह की अगवानी में जुट गए है। भीषण गर्मी व लू के थपेड़ों के बीच वे बारिश की उम्मीद में मानसून पूर्व ही खेतों की हकाई, खरपतवार नष्ट करने एवं बाड़ों की सार-संभाल के साथ देशी खाद व पणा से खेतों को उपजाऊ बनाने में जुटे हैं। अधिकांश किसान बारिश की आस में देशी खाद को खेतों में इन दिनों डाल रहे हैं। साथ ही खेतों में जुताई भी कर रहे हैं। कृषि विभाग के अनुसार भले ही मानसून इस बार सामान्य से पांच दिन देर से पहुंचेगा। लेकिन विभाग खरीफ फसलों की बुवाई की पूरी तैयारियों में लग गया है। कृषि विभाग ने इस बार खरीफ में बुवाई का लक्ष्य करीब १ लाख ६१ हजार रखा है। कृषि विभाग उपनिदेशक बी.डी.शर्मा ने बताया कि इस वर्ष बाजरे का १ लाख ३१ हजार हैक्टेयर भूमि में बुवाई का लक्ष्य रखा गया है। इसी प्रकार तिल का १५ हजार, गवार का ५ हजार, धान का १ हजार सहित अन्य ९ हजार का लक्ष्य रखा गया है। वही गत वर्ष १५४२५९ हैक्टेयर भूमि में बुवाई का लक्ष्य था। खेतों की सेहत के लिए हकाई जरूरी कृषि पर्यवेक्षक के अनुसा मई-जून माह में आसमान से बरसती आग व लू की लपटों के बीच खेतों की गहरी हकाई कर खेत को खुला छोड़ देना चाहिए। इससे जमीन में गर्म हवा प्रवेश कर जाती है। इससे खरपतवार, कीट व उनके अंडाणु नष्ट हो जाते है। इसी प्रकार किसान खरीफ में बेहतर पैदावार ले सकता है। माड़ क्षेत्र में भगवान भरोसे होती है खेती नादौती व टोडाभीम तहसील का अधिकांश क्षेत्र माड़ क्षेत्र के नाम से जाना जाता है। लगातार बारिश की कमी के चलते यहां पानी पाताल में चला गया है। इस कारण खेती तो दूर पानी पीने के लिए लाले पड़ रहे हैं। माड़ क्षेत्र में गत एक दशक से खेती भगवान के भरोसे होती है। अगर बारिश अच्छी हो जाए तो किसानों के पैदावार होती है। बिना बारिश के तो माड़ क्षेत्र में अकाल की स्थिति बन जाती है। हलांकि लोगो ने कुण्डे बना रखे हैं। लेकिन कुण्डे भी बारिश से ही भरते है।