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जिस कैंपर के पानी को आप शुद्ध समझ कर पी रहें हैं, आपकी जिंदगी में कहीं जहर न घोल दे; मौजूद हैं उसमें ये हानिकारक तत्व

locationकरौलीPublished: May 19, 2018 04:26:04 pm

Submitted by:

Vijay ram

जिंदगी में जहर न घोल दे आरओ का शुद्ध पानी, रसायनों से हो रहा शोधित, ना पंजीयन ना होती जांच….

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जिस कैंपर के पानी को आप शुद्ध समझ कर पी रहें हैं, आपकी जिंदगी में कहीं जहर न घोल दे; मौजूद हैं उसमें ये हानिकारक तत्व

जयपुर/करौली.
सावधान! जिस कैम्पर के पानी को आप शुद्ध समझ कर पी रहें हैं, वह आपकी जिंदगी में कहीं जहर न घोल दे। शुद्ध समझे जाने वाला यह पानी रसायनों के उपयोग से शोधित किया जा रहा है।
निरंतर गिरते भू-जल स्तर व पानी में बढ़ते फ्लोराइड व टीडीएस की मात्रा के कारण आरओ पानी का कारोबार चरम पर है। कम लागत व ज्यादा मुनाफा होने से अनेक जगह आरओ प्लांट संचालित होने लगे हैं। जहां न तो प्रशासनिक स्तर पर जांच होती है और न ही चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी इसको लेकर गंभीर हैं। जबकि हिण्डौनसिटी व आसपास के गांवों में करीब डेढ़ दर्जन आरओ प्लांट संचालित हो रहें हैं।
प्लांट संचालक पानी के शुद्ध होने की गारंटी के साथ लोगों के घर-घर पहुंच १० से १५ रुपए प्रति कैम्पर की दर से पानी बेेचते हैं। खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अन्र्तगत आने के बावजूद चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की ओर से समय-समय पर आरओ प्लांटों में पानी की शुद्धता की जांच नहीं की जाती। ऐसे में इन प्लांटो में शोधित कर बेचा जा रहा ठंडा पानी कितना शुद्ध है, इसका किसी को पता नहीं।
बिना पंजीयन चल रहे प्लांट
खास बात यह है कि खुलेआम कैम्परों में बिक रहे आरओ के पानी की विभागीय स्तर पर जांच की व्यवस्था नहीं है। इससे प्लांट संचालकों में किसी भी कार्रवाई का डर नहीं है। हालात यह है कि क्षेत्र में संचालित करीब डेढ़ दर्जन आरओ प्लांट में से एक भी प्लांट पंजीकृत नहीं हैं। जबकि खानपान की वस्तुओं के प्रोडक्शन से लेकर वितरण करने के लिए नियमानुसार चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग से अनुज्ञापत्र लेना होता है। पंजीयन नहीं होने की स्थिति में विभाग के खाद्य निरीक्षक व प्रशासन केे अधिकारी खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत इनके विरूद्व कार्रवाई कर सकतें हैं।
बेरोकटोक हो रहा जलदोहन
जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के सूत्रों के अनुसार जल प्राकृतिक संपदा है और इसका दोहन नहीं किया जा सकता। नियमानुसार पंजीयन के बाद बोतल बंद पानी को बाजार में बेचा जा सकता है। लेकिन आरओ प्लांट संचालकों ने पानी के लिए अवैध नलकूप खोद रखें हैं। जहां प्रतिदिन हजारों लीटर पानी का कारोबार कर लाखों रुपए कमा रहे हैं। क्षेत्र में भूजल स्तर की स्थिति भी चिंताजनक है। आरओ प्लांट भी भूगर्भीय जल पर आधारित है। ऐसे में पानी की रासायनिक शुद्धता की जांच अति आवश्यक है। सूत्रों की मानें तो इन प्लांटों में (रिवर्स ऑस्मोसिस) आरओ मशीन भी हल्के स्तर की लगाई जाती है।


इस प्रकार है पानी में रसायनों की मात्रा
जलदाय विभाग के अनुसार क्षेत्र के भूजल में टीडीएस व फ्लोराइड की मात्रा अत्यधिक है। शहरी क्षेत्र के भूजल में टीडीएस २५०० से ३००० पीपीएम है वहीं ग्रामीण क्षेत्र में इसकी मात्रा ५००० से ८००० पीपीएम है। जबकि ५०० पीपीएम टीडीएस वाले पानी को ही पीने योग्य माना गया है।
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