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49 करोड़ रु. में बन रही 31 KM लम्बी सड़क में नाली निर्माण भुला दिया गया, बजरी की जगह डाल रहे रेता

locationकरौलीPublished: Feb 21, 2018 11:25:58 pm

Submitted by:

Vijay ram

जनता बोली— विभागीय अनदेखी के चलते बजरी की जगह रेता काम में ली जा रही है और सीमेन्ट की मात्रा न के बराबर डालकर ..

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करौली.
राजस्थान में कुडगांव से सपोटरा उपखण्ड मुख्यालय तथा रानेटा तक सार्वजनिक निर्माण विभाग की ओर से 49 करोड़ की लागत से बनाई गई ३१ किमी. लम्बी सड़क में नाली निर्माण करना भुला दिया गया। जबकि जारी की गई स्वीकृति में प्रमुख कस्बों में होकर सड़क के निर्माण के दौरान नाली निर्माण करना शामिल था।
बजरी की जगह रेता डाल बना रहे नाली
इस अनदेखी के बाद अब विभाग को कुडग़ांव कस्बे में नाली निर्माण की सुध आई है। बताया गया है कि कस्बे में करीब डेढ़ किमी. लम्बाई मेंं विभाग द्वारा मात्र मात्र ६ ईंच की नाली का निर्माण एक साइड कराया जा रहा है जबकि पानी निकासी के लिए निर्माण दोनों तरफ होना जरूरी है।
आरोप है कि इसमें भी विभागीय अनदेखी के चलते बजरी की जगह रेता काम में ली जा रही है और सीमेन्ट की मात्रा न के बराबर डालकर केवल खानापूर्ति की जा रही है।

कुडग़ांव में नाली निर्माण का मामला…
गौरतलब है कि राजस्थान पत्रिका में नाली निर्माण को लेकर कई बार खबर प्रकाशित होने तथा ग्रामीणों द्वारा विभागीय अधिकारियों व थानाधिकारी को ज्ञापन देने के बाद इस निर्माण कार्य की शुरूआत तो हुई है, लेकिन यह काम औपचारिक अधिक दिख रहा है। जिस तरह का काम कराया जा रहा है उसको लेकर जानकारों का मानना है कि यह निर्माण तो
जल्दी ही टूट जाएगा।
इससे विभाग का नुकसान होना तय है। पत्रिका में बिना नालियों के कर रहे निर्माण व सडक निर्माण में तोड रहे मापदण्ड, निर्माण बन्द होने से ग्रामीणों में रोष शीर्षक से खबरें प्रकाशित की गई थी। विभाग द्वारा घटिया सामग्री का इस्तेमाल करने को लेकर सपोटरा विधायक रमेशचन्द मीना ने भी जिला कलक्टर को शिकायत करने सहित विधानसभा में यह मामला उठाया था।
विभाग के कनिष्ठ अभियन्ता राकेश मीना का कहना है कि नालियों के लिए प्रस्ताव भेज रखा है, लेकिन कस्बे में सड़क पर पानी भरने की समस्या को देखते हुए कुडग़ांव में विभाग द्वारा संवेदक से नाली निर्माण कराया जा रहा है। वैसे तो बजरी प्रयोग करनी चाहिए लेकिन रेता ले रहे है तो कुछ कह नहीं सकते, क्योंकि नाली निर्माण एस्टीमेट में नही है।
विभाग के अधिशासी अभियन्ता आर.के. मीना का कहना है कि बजरी नहीं आने के कारण रेता का प्रयोग किया जा रहा होगा। छोटा सा कार्य है इसलिए कुछ कह नहीं सकते।

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