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सौर ऊर्जा से किसान हुआ खुशहाल

locationकरौलीPublished: Mar 16, 2019 12:10:55 pm

Submitted by:

Jitendra

गुढ़ाचन्द्रजी. काला सोना सरसों के लिए मशहूर माने जाने वाले माड़ क्षेत्र की धरा में गत दो दशक से बारिश नहीं होने से पानी रसातल में चला गया है। इस कारण फसल तो दूर पीने के पानी के ही लाले पड़ रहे है। लेकिन सलावद गांव में एक किसान ने सौर ऊर्जा संयंत्र के माध्यम से पानी की समस्या दूर कर परम्परागत फसल सहित सौंफ व अनार की खेती की।

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गुढ़ाचन्द्रजी. सलावद गांव में लगाया गया सौर ऊर्जा संयंत्र।

गुढ़ाचन्द्रजी. काला सोना सरसों के लिए मशहूर माने जाने वाले माड़ क्षेत्र की धरा में गत दो दशक से बारिश नहीं होने से पानी रसातल में चला गया है। इस कारण फसल तो दूर पीने के पानी के ही लाले पड़ रहे है। लेकिन सलावद गांव में एक किसान ने सौर ऊर्जा संयंत्र के माध्यम से पानी की समस्या दूर कर परम्परागत फसल सहित सौंफ व अनार की खेती की। इन दिनों सौंफ में हरे-हरे फूल खिल रहे हैं। वहीं अनार भी फल फूल रहे हैं।
समीपवर्ती गांव सलावद निवासी किसान प्रहलाद पूर्विया ने गेहूं, सरसों, चना की खेती कर उन्नत पैदावार की, वही अब सौंफ व अनार की बेहतर खेती कर अन्य किसानों के लिए प्रेरणा स्रोत बन गए हैं। किसान प्रहलाद पूर्विया ने बताया कि बेहतर आमदनी वाली फसलों की पैदावार में रुझान बढ़ रहा है। फसलों की सिंचाई में सौर ऊर्जा संयंत्र का इस्तेमाल बहुत कारगर रहा है। पूर्व में भी खीरे व टिन्डे की खेती भी की। जैविक खेती भी की जा रही है।
ईंधन की झंझट से मुक्ति
किसान प्रहलाद पूर्विया ने बताया कि खेती में इंजन से सिंचाई करता था। लेकिन डीजल के भाव अधिक बढ़ जाने से वह परेशान था। इस पर उसने विभाग से अनुदान लेकर पांच हॉर्स पॉवर का सौर ऊर्जा प्लंाट लगवाया है। डीजल के खर्च से मुक्ति मिलने के साथ रखरखाव का खर्चा भी बच गया। अब पूरा दिन ड्रिप व फब्बारे के माध्यम से फसलों की सिंचाई कर उत्पादन कर रहे हैं। फव्वारे से कम पानी में बेहतर सिंचाई हो जाती है।
तरीका बदला तो बढ़ा मुनाफा
कृषक प्रहलाद पूर्विया ने बताया कि वे बहुत साल से ख्ेाती कर रहे हैं, पहले परम्परागत तरीके से खेती करते रहे हैं। लेकिन जब से आधुनिक तकनीक अपनाई है तब से मुनाफा तो बढ़ा ही वहीं खेती में समय की बचत भी हुई है।
मिलता है अनुदान
कृषि विभाग के अनुसार ५ एचपी के सौलर पंप पर ७५ प्रतिशत अनुदान मिलता है। सौर उर्जा से किसान फव्वारा से सिंचाई करने पर ४० प्रतिशत व ड्रिप से ७० से ७५ प्रतिशत पानी की बचत कर सकता है। साथ ही सौलर उर्जा लगाने से डीजल खर्च से उसे राहत मिलेन के साथ किसान को पैदावार में भी बढ़ोतरी मिलती है। इधर कृषि पर्यवेक्षक कैलाश चंद्रवाल ने बताया कि किसान प्रहलाद पूर्विया मिश्रित खेती कर रहे हैं, जो कि बेहतर मुनाफे का सौदा है। मॉड क्षेत्र में अनार व सौंफ की खेती होना अन्य किसानों के लिए प्रेरणास्रोत है।

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