पता चला है कि यूपी का कन्नौज शहर दुनियाभर में इत्र नगरी के नाम से मशहूर है। कहा जाता है कि कन्नौज की हवाएं अपने साथ खुशबू लिए चलती हैं। यहां 200 से अधिक इकाइयों में बड़े पैमाने पर इत्र बनाया जाता है। इसके लिए कई शहरों से चंदन की लकड़ी, विभिन्न प्रकार के फूल आदि मंगाए जाते हैं।
डीएसटी द्वारा दबोचे चंदन तस्कर भी करौली से चंदन के पेडों की चोरी कर कन्नौज की इत्र मंडी में महंगे दामों पर बेचते थे। जिसके बाद करौली का चंदन सुगंधित इत्र बनाने के उपयोग में लिया जाता था। कन्नौज के इत्र की सप्लाई यूके, यूएस, सउदी अरब, ओमान, इराक, इरान समेत कई देशों में की जाती है।
सरगना समेत तीन बदमाश कन्नौज निवासी-
पुलिस सूत्रों के अनुसार चंदन तस्कर गिरोह का सरगना नदीम उर्फ पनडुब्बी व साथी रामबाबू जाटव कन्नौज थाने के सेखाना गांव के रहने वाले है। जबकि नदीम की कार का ड्राइवर शिवदर्शन सैनी मूल रूप से यूपी के सीतापुर थाने की अफसर कॉलोनी का रहने वाला है, लेकिन पिछले कई वर्षों से वह कन्नौज के हाजीगंज खुर्द में रहता है। एक अन्य आरोपी हरिदर्शन उर्फ छोटू सैनी सीतापुर जिले के सिविल लाइन एरिया में रहता था।
पुलिस की अभी तक की पड़ताल में चंदन तस्कर गिरोह का किसी भी स्थानीय व्यक्ति से कनेक्शन सामने नहीं आया है। इसके लिए पुलिस ने आरोपियों के मोबाइल नंबरों की सीडीआर भी निकलवाई है। करौली कोतवाली थाना पुलिस ने चारों आरोपियों को न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया। जहां से उन्हें पुलिस रिमांड पर सौंपा गया है।
वर्ष 2004 में पहली बार करौली आया नदीम-
पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक गिरोह का सरगना पहली बार वर्ष 2004 में करौली में चंदन के पेड़ चुराने आया था। लेकिन तब वह गिरोह का एक सदस्य था। इस चोरी की घटना के बाद ही गिरोह की कमान नदीम के हाथ में आ गई।
वह अपने कार ड्राइवर शिवदर्शन सैनी व साथी हरीदर्शन उर्फ छोटू के साथ करौली में चंदन के पेड चोरी करने की कई चोरी की वारदातों को अंजाम दे चुका है। जबकि उसका पडौसी रामबाबू जाटव पहली बार चंदन चोरी की वारदात में शामिल हुआ था, लेकिन पकड़ा गया। पुलिस ने बताया कि आरोपी नदीम को सर्किट हाउस में चंदन के एक-एक छोटे से लेकर बड़े पेड़ की जानकारी है।
उसे पता चल जाता था कि सर्किट हाउस में चंदन का कौन सा पेड़ कब बड़ा होगा। जैसे ही पेड़ वयस्क हो जाता, नदीम अपने गिरोह के साथ आता और पेड़ को टुकडों में काट कर ले जाता था। गिरोह ने करौली के अलावा लखनऊ, कानपुर, सीतापुरा, रायबरेली, हरदोई, हरिद्वार, हस्तिनापुर, लक्सर, बावरी वन से भी सैंकडों चंदन के पेडों पर आरी चला चुके हैं।