राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद् प्रति माह शैक्षणिक गुणवत्ता, परीक्षा परिणाम, नामांकन, स्कूलों में उपलब्ध संसाधन, बिजली,पानी तथा अध्यापकों की कार्य प्रणाली को लेकर रैकिंग जारी करता है। इस रैकिंग में जिले की फिसड्डी स्थिति सामने आई है। विभाग की ओर से जून माह की जारी रैकिंग में हनुमानगढ़ जिले ने प्रथम स्थान प्राप्त किया है। जबकि करौली को 31वां स्थान मिला है। करौली से पीछे भरतपुर व बांरा जिले हैं।
14 स्कूलों के पास भवन नहीं विभाग की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि जिले के 14 स्कूलों के पास भवन नहीं है, जिससे ये स्कूल सामुदायिक भवन व गांव के सार्वजनिक स्थानों पर संचालित हैं। इस कारण 14 स्कूलों में पढ़ाई पूरी तरह से बाधित है। भवन विहीन स्कूल करौली, मण्डरायल टोडाभीम, सपोटरा ब्लॉक के है। माना जा रहा है कि बिना भवनों के स्कूल संचालन के कारण से भी रैकिंग में गिरावट आई है। हालांकि भवनों के लिए शिक्षा विभाग ने प्रत्येक स्कूल के हिसाब से बजट आवंटित कर दिया है। लेकिन स्कूल प्रबंधन व ग्राम पंचायत जमीन की व्यवस्था नहीं कर पा रहे हैं। इससे निर्माण अटका हुआ है। अधिकारियों की मॉनिटरिंग भी कमजोर है।
प्राथमिक शिक्षा के 715 स्कूलों में बिजली नहीं जिले की प्रारम्भिक शिक्षा के 715 स्कूलों में बिजली कनेक्शन नहीं है। इस कारण छात्र-छात्राओं को गर्मी के बीच अध्ययन करना पड़ता है। साथ ही स्कूल के अध्यापकों को ऑनलाइन कार्य के लिए कस्बों में जाना पड़ता है। क्योंकि बिजली के अभाव में इंटरनेट भी स्कूल में नहीं चल पाता है। शिक्षा अधिकारियों ने बताया कि बिजली कनेक्शन के लिए बजट नहीं मिल रहा है। शिक्षा की क्वालिटी कमजोर रैकिंग में शिक्षा की क्वालिटी को कमजोर माना गया है, प्रारम्भिक शिक्षा के आठवीं कक्षा के विद्यार्थी गणित, विज्ञान व अंग्रेजी के साधारण सवालों का जवाब भी दे पाए। आठवीं तक के स्कूलों में शिक्षण कार्य में अध्यापकों द्वारा बरती गई लापरावही से भी शिक्षा का स्तर कमजोर हुआ है। रैकिंग इस मुद्दे को विभाग के अधिकारियों ने गम्भीरता से लिया है। शैक्षणिक गुणवत्ता में सुधार के निर्देश भी दिए हैं। जवाब मांगा है स्कूलों की रिपोर्ट ऑनलाइन तैयार करने में संस्था प्रधानों ने गड़बड़ी की है, जिसमें अब सुधार होगा….. गणपतलाल मीना, मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी, करौली