किसानों की मानें तो इस बार मंडी में बाजरे के उचित दाम नहीं मिल रहे। ऐसे में वे फसल कुटाई के बाद बाजरे को मंडी में बेचान के लिए ले जाने के बजाए सीधे ही घरों में रख रहें हैं। जब भाव बढेंगे तो उपज के साथ मंडी की ओर रूख करेंगे। मंडी सूत्रों के मुताबिक सीजन की शुरुआत में मंडी में बाजरे के दाम 1100 रुपए प्रति क्विन्टल थे, लेकिल फिलहाल मंडी में बाजरे का भाव 1200 से 1250 रुपए प्रति क्विन्टल चल रहा है। जबकि पिछले वर्ष इन दिनों में बाजरा का भाव 1300 से 1450 रुपए प्रति क्विन्टल था। ऐसे में किसान कडी मेहनत से पैदा की गई उपज को कम दामों में बेचने को राजी नहीं है।
मंडी सूत्र बताते हैं कि पिछले साल सीजन में मंडी में प्रतिदिन 5 से 6 हजार क्विन्टल बाजरे की आवक हुई थी। लेकिन इस बार गावों में पंचायत चुनावों का माहौल चल रहा है। जिससे किसान पूरी तरह से चुनाव में व्यस्त है। ऐसे में वे अपनी उपज को मंडी में बेचान के लिए नहीं ला पा रहे। नतीजतन 300 से 400 क्विन्टल बाजरा ही मंडी में आ रहा है। व्यापारियों का मानना है कि अब तो गावों में चुनाव की रंगत खत्म होने के बाद ही मंडी की सुस्ती दूर हो पाएगी।
कोरोना में हुए लॉकडाउन व व्यापारियों की हडतालों के कारण कई दिनों तक मंडी बंद रहने से पल्लेदारों को रोजगार का संकट झेलना पड़ा। लेकिन उन्हें बाजरे की फसल के सीजन से आर्थिक संकट दूर होने की आस थी। लेकिन सीजन के दौर में मंदी के चलते पल्लेदारों को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। स्थिति यह है कि प्रतिदिन छह सौ से आठ सौ रुपए कमाने वाले पल्लेदारों को 300 से 350 रुपए तक का रोजगार नहीं मिल पा रहा।
पिछले वर्ष के मुकाबले इस साल बाजरे की आवक काफी कम है। इससे व्यापारियों समेत मंडी कोष व पल्लेदारों को नुकसान हो रहा है।
-राजेश कर्दम, सचिव, कृषि उपज मंडी, हिण्डौनसिटी।