scriptसीजन में सुस्ती…बाजरा की कम आवक से मंडी में सूनापन | Slowness in season low yield of millet, agricultural produce in the m | Patrika News

सीजन में सुस्ती…बाजरा की कम आवक से मंडी में सूनापन

locationकरौलीPublished: Sep 23, 2020 10:55:09 am

Submitted by:

Anil dattatrey

Slowness in season… low yield of millet, agricultural produce in the market dullness-व्यापारी और पल्लेदारों के अलावा मंडी कोष भी प्रभावित

सीजन में सुस्ती...बाजरा की कम आवक से मंडी में सूनापन,सीजन में सुस्ती...बाजरा की कम आवक से मंडी में सूनापन

सीजन में सुस्ती…बाजरा की कम आवक से मंडी में सूनापन,सीजन में सुस्ती…बाजरा की कम आवक से मंडी में सूनापन

हिण्डौनसिटी. उपखंड मुख्यालय पर कैलाशनगर स्थित जिले की एकमात्र ‘ए’ श्रेणी की कृषि उपज मंडी में फसली सीजन के दौर में भी सूनापन पसरा है। इसका बड़ा कारण बाजरा की कम आवक का होना है। विगत वर्षों की अपेक्षा इस बार मंडी में महज 25 से 30 फीसदी बाजरे की आवक हो रही है। इससे किसान ही नहीं बल्कि मंडी व्यापारी व पल्लेदारों को तो नुकसान उठाना ही पड़ा है, साथ ही इसका सीधा असर मंडी कोष पर भी पड़ रहा है। आलम यह है कि बीते एक पखवाड़े में मंडी में महज 15 हजार क्विंटल बाजरे की आवक हो पाई है। जिससे मंडी को मामूली सी आय हो सकी है। यही नहीं बाजरे की ढेरी व बोरियों से आबाद रहने वाले मंडी यार्ड के ए, बी, सी ब्लॉक फिलहाल सूने नजर आ रहे हैं। कुछेक ढेरी और बोरी मंडी का सन्नाटा तोड़ नहीं पा रहे।
पिछले वर्ष के बजाए मिल रहे कम दाम-
किसानों की मानें तो इस बार मंडी में बाजरे के उचित दाम नहीं मिल रहे। ऐसे में वे फसल कुटाई के बाद बाजरे को मंडी में बेचान के लिए ले जाने के बजाए सीधे ही घरों में रख रहें हैं। जब भाव बढेंगे तो उपज के साथ मंडी की ओर रूख करेंगे। मंडी सूत्रों के मुताबिक सीजन की शुरुआत में मंडी में बाजरे के दाम 1100 रुपए प्रति क्विन्टल थे, लेकिल फिलहाल मंडी में बाजरे का भाव 1200 से 1250 रुपए प्रति क्विन्टल चल रहा है। जबकि पिछले वर्ष इन दिनों में बाजरा का भाव 1300 से 1450 रुपए प्रति क्विन्टल था। ऐसे में किसान कडी मेहनत से पैदा की गई उपज को कम दामों में बेचने को राजी नहीं है।
पंचायत चुनाव की व्यस्तता भी आ रही आड़े-
मंडी सूत्र बताते हैं कि पिछले साल सीजन में मंडी में प्रतिदिन 5 से 6 हजार क्विन्टल बाजरे की आवक हुई थी। लेकिन इस बार गावों में पंचायत चुनावों का माहौल चल रहा है। जिससे किसान पूरी तरह से चुनाव में व्यस्त है। ऐसे में वे अपनी उपज को मंडी में बेचान के लिए नहीं ला पा रहे। नतीजतन 300 से 400 क्विन्टल बाजरा ही मंडी में आ रहा है। व्यापारियों का मानना है कि अब तो गावों में चुनाव की रंगत खत्म होने के बाद ही मंडी की सुस्ती दूर हो पाएगी।
लट-फडक़ा के बावजूद बम्पर उत्पादन-

कृषि विभाग व कृषि मंडी सूत्रों के अनुसार इस साल बाजरे की फसल में फडक़ा व लट लगने से करीब 20 से 25 प्रतिशत खराबा हुआ। बावजूद इसके प्रति हेेक्टेयर भूमि में पांच से छह क्विन्टल बाजरे का उत्पादन हुआ है। बाजरे की कम आवक होने से मंडी कोष में मात्र आठ से 10 हजार रुपए प्रतिदिन की आय हो रही है। जबकि विगत वर्षों में आय का आंकड़ा प्रतिदिन 30 से 40 हजार रुपए हुआ करता था।
पल्लेदारों को हो रही परेशानी-
कोरोना में हुए लॉकडाउन व व्यापारियों की हडतालों के कारण कई दिनों तक मंडी बंद रहने से पल्लेदारों को रोजगार का संकट झेलना पड़ा। लेकिन उन्हें बाजरे की फसल के सीजन से आर्थिक संकट दूर होने की आस थी। लेकिन सीजन के दौर में मंदी के चलते पल्लेदारों को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। स्थिति यह है कि प्रतिदिन छह सौ से आठ सौ रुपए कमाने वाले पल्लेदारों को 300 से 350 रुपए तक का रोजगार नहीं मिल पा रहा।
इनका कहना है-
पिछले वर्ष के मुकाबले इस साल बाजरे की आवक काफी कम है। इससे व्यापारियों समेत मंडी कोष व पल्लेदारों को नुकसान हो रहा है।
-राजेश कर्दम, सचिव, कृषि उपज मंडी, हिण्डौनसिटी।

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