यह कहानी है करौली जिले की टोडाभीम तहसील के मुंडिया गांव निवासी कुलदीप सिंह गुर्जर छाबड़ी पुत्र गणेश गुर्जर की, जो वर्ष 2009 में सीआरपीएफ में भर्ती हुए थे। असल में कुलदीप देश की सीमा पर अपना फर्ज निभाने के साथ आरटीआई (सूचना का अधिकार कानून) के प्रति जागरूकता की मुहिम चला रहे हैं। वे स्वयं अब तक 100 से अधिक आरटीआई लगाकर विभिन्न विभागों से सूचनाएं संकलित कर चुके हैं। इसके पीछे उनका मकसद आमजन को सरकारी योजनाओं से लाभान्वित करना और कार्यालयों में पारदर्शिता बनाए रखना है। सीआरपीएफ में शामिल होने के बाद वर्ष 2015 में कुलदीप अभिनव राजस्थान के कार्यकर्ताओं के संपर्क में आए और तभी से सूचना के अधिकार पर काम करने लगे। जब भी छुट्टियों पर अपने गांव आते हैं तो जिले के विभिन्न कार्यालयों से आरटीआई के तहत सूचनाएं प्राप्त करते हैं। अभी तक वे ग्राम पंचायत स्तर से लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय तक 100 से अधिक आरटीआई आवेदन लगा चुके हैं। छाबड़ी बताते हैं कि सूचना के अधिकार के तहत काम करना देश के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा है। इससे आमजन गरीबों का भला होता है उसे सरकार की योजनाओं का लाभ मिलता है।
सैनिक कुलदीप कहते हैं कि सूचना का अधिकार कानून देश का सबसे असरदार कानून माना जाता है, लेकिन जिले में इस कानून का समुचित प्रचार-प्रसार नहीं हो पाने से हर व्यक्ति इसका उपयोग नहीं कर पा रहा। यही वजह है कि करीब डेढ़ दशक बाद भी आमजन पूरी तरह इससे वाकिफ नहीं हो सके हैं। जबकि इस कानून का उपयोग किया जाए तो इससे ना केवल सरकारी दफ्तरों में भ्रष्टाचार पर लगाम लग सकती है, बल्कि किसी भी व्यक्ति को अपने कार्यों के लिए लम्बे समय तक चक्कर नहीं काटने पड़ेगे। जरूरत है करौली जिले में इस कानून के व्यापक प्रचार-प्रसार कि ताकि लोग इसका उपयोग कर सकें।
लेते हैं वांछित दस्तावेज और करते हैं अवलोकन
कुलदीप के अनुसार उन्होंने सबसे पहले टोडाभीम पंचायत समिति कार्यालय से वांछित दस्तावेज आरटीआई के जरिए प्राप्त किए। वहीं पुलिस थानों में वांछित दस्तावेजों का अवलोकन किया। आरटीआई की पालना और प्रचार-प्रसार के लिए जिला कलक्टर को पत्र लिखा। पुलिस विभाग मे पुलिस जबाबदेही समिति बनाने व सीएलजी की बैठक के लिए भी आरटीआई का उपयोग किया, जिसके बाद जिले मे पुलिस जबाबदेही समिति बनी। जिला स्तर पर 12 अक्टूबर को सूचना का अधिकार दिवस मनाकर आमजन को इसके प्रति जागरूक किया। वहीं रेल मंत्रालय में आरटीआई के जरिए करौली जिले की सीमा से निकलने वाली टे्रनों की जानकारी लेकर बिना रुके गुजरने वाली 38 ट्रेनों को रुकवाने की कार्रवाई की। आरटीआई के जरिए जिले के 70 शहीदों की जीवनी की जानकारी लेकर करौली के वीर सपूतों की अमर गाथा नामक पुस्तक भी तैयार की जा रही है।