यदि मेडिकल कॉलेज की स्वीकृति होती है तो चिकित्सालय 300 पलंगों का होगा।
साथ ही चिकित्सा सुविधाओं में भी विस्तार होगा, जिससे आमजन को राहत मिलेगी। मेडिकल कॉलेज होने की स्थिति में प्रोफेसर चिकित्सकों के साथ हर फेकल्टी के चिकित्सकों की संख्या में इजाफा हो जाएगा, जिससे रोगियों को रेफर होने की समस्या से राहत मिलेगी, वहीं कॉलेज में बाहर से विद्यार्थी आने से रोजगार बढ़ेगा।
प्रमुख चिकित्सा अधिकारी की ओर से मेडिकल कॉलेज के लिए भेजे गए पत्र में बताया है कि पूर्वी राजस्थान के करौली सहित इसके नजदीक धौलपुर, दौसा, सवाईमाधोपुर जिलो में कोई भी मेडिकल कॉलेज संचालित नहीं है। करौली जिला और आसपास का क्षेत्र पिछड़ा हुआ है।
यहां पर मेडिकल कॉलेज की संभावनाओं को बल इसलिए भी मिलता है कि गत दिनों सपोटरा विधायक एवं खाद्य व नागरिक आपूर्ति मंत्री रमेशचन्द मीना भी यहां पर मेडिकल कॉलेज खोले जाने के प्रयास करने के संकेत दे चुके हैं। गत दिनों राजस्थान पत्रिका के एक साक्षात्कार के दौरान मंत्री रमेश मीना ने माना था कि जिले में चिकित्सा सुविधाओं के विस्तार की दरकार है, ऐसे में यहां मेडिकल कॉलेज के प्रयास किए जाएंगे।
चिकित्सालय प्रशासन की ओर से मेडिकल कॉलेज के लिए जिला कलक्टर को पत्र भेजा है। मेडिकल कॉलेज खुलता है तो जिले में चिकित्सा सुविधाओं में विस्तार होगा।
डॉ. दिनेश गुप्ता, प्रमुख चिकित्सा अधिकारी, करौली