स्थानीय मान्यताओं के अनुसार इस दुर्ग का निर्माण लोधी जाति के लोगों ने करवाया था। इस जाति के लोग बीहड़ पहाड़ी चम्बल किनारे वाले इस क्षेत्र पर लम्बे समय से ही कब्जा किये हुए थे। उन्होंने ही समय-समय पर यहां पर बांध और तालाब बनवाये। यह दुर्ग करौली राज्य के भू -भाग में ग्वालियर ओर नरवर के बीच में करनपुर के पश्चिम में कल्याणपुर के पास स्थित है।
मुगल इतिहासकारों ने उतगढ़ को भिन्न -भिन्न नामों से लिखा है जैसे उदितनगर ,उन तगर,अवन्तगर, उटनगर, उटगर ,अवन्तगढ़, अंतगढ़ और अनुवंतगढ़ है।इसका वास्तविक या शुद्ध नाम उतगढ़ या अवन्तगढ़ है।मुगल इतिहासकारों ने सुल्तानेत काल का इतिहास लिखते समय बार-बार इस किले का वर्णन किया है यह दुर्ग करौली राज्य के भू -भाग में ग्वालियर ओर नरवर के बीच में करनपुर के पश्चिम में कल्याणपुर के पास स्थित है।
करौली नगर से यह दुर्ग 40 किमी दक्षिण पश्चिम में है। दुर्ग तीन तरफ से उन्नत पहाड़ियों एवं सघन वन क्षेत्र से घिरा हुआ है। दुर्ग का नाम किसी शासक के नाम पर होने के कोई प्रमाण नहीं प्राप्त हुए है। यह दुर्ग 4किमी0 की परिधि में पक्के परकोटे द्वारा बना हुआ है।
दुर्ग के नीचे झरने,तालाब और सतियों की खंडित छतरियां है। दुर्ग के चारों ओर उन्नत एवं सुद्रढ़ प्राचीर हैं।दुर्ग में जाने के लिए दो विशाल दरवाजेओर एक बारीहै। इमली वाली पोल इसका मुख्य द्वार है दुर्ग में कई भवन ,तालाब , मंदिर आदि है जो जीर्ण -शीर्ण हो चुके है।