तिनके-तिनके से बनता है उसका आशियाना
करौलीPublished: Aug 13, 2019 07:51:21 pm
बया (विवर बर्ड) नामक पक्षी भी बारिश के मौसम में अपना आशियाना बनाना शुरू करता है। इसके लिए उनके द्वारा सुरक्षित स्थान की तलाश की जाती है और फिर वे उसका तिनके-तिनके से निर्माण शुरू करते हैं। यह एक ऐसी प्रक्रिया होती है कि इस काम में उनको कई दिन लग जाते हैं। तिनके-तिनके करके तैयार होने वाला घोंसला ऐसा होता है जिसमें न पानी जा पाता न सर्दी का असर होता।
तिनके-तिनके से बनता है उसका आशियाना
पक्षियों का कोई कलेण्डर नहीं होता। वे तो ऋतु को देखकर स्वत: ही अपनी क्रियाओं और गतिविधियों में लिप्त रहते है। बया (विवर बर्ड) नामक पक्षी भी बारिश के मौसम में अपना आशियाना बनाना शुरू करता है। इसके लिए उनके द्वारा सुरक्षित स्थान की तलाश की जाती है और फिर वे उसका तिनके-तिनके से निर्माण शुरू करते हैं। यह एक ऐसी प्रक्रिया होती है कि इस काम में उनको कई दिन लग जाते हैं। तिनके-तिनके करके तैयार होने वाला घोंसला ऐसा होता है जिसमें न पानी जा पाता न सर्दी का असर होता। बारिश ऋतु के दौरान बया (विवर बर्ड) घोंसला बनाने के साथ अपना जोड़ा बनाने में व्यस्त होते हैं। नर बया पक्षी का भी रंग इन दिनों बदलकर पीला हो जाता है। इससे नर की खूबसूरती बढ़ जाती है। पेड़ों की झूलती टहनियों में हेलमेट नुमा घोसला बनाते हैं। इसके बाद वे दो महिने घोंसले में रहते है। अक्टूबर के मध्य में वे घोंसलों को छोड़कर उड़ जाते हैं। करौली जिले में गुढ़ाचन्द्रजी के तिमावा गांव के समीप सूखे पड़े कुंए के ऊपर पेड़ की टहनियों में बया ने बनाया घोंसला। उल्लेखनीय है कि बारिश ऋतु के दौरान बया (विवर बर्ड) घोंसला बनाने व जोड़ा बनाने में व्यस्त है।