scriptअवैध खनन पर की सख्ती तो थम गई सरकार की आय | Strictness on illegal mining then stopped income | Patrika News

अवैध खनन पर की सख्ती तो थम गई सरकार की आय

locationकरौलीPublished: Jun 20, 2021 08:07:19 pm

Submitted by:

Surendra

अवैध खनन पर की सख्ती तो थम गई सरकार की आय
प्रशासन के लिए गले का फांस बन गई है यह सख्तीरॉयल्टी सहित विभिन्न करों से करोड़ों का हो रहा नुकसानकरौली। सैण्ड स्टोन के अवैध खनन को रोकने की खातिर प्रशासन द्वारा सख्ती प्रशासन के लिए गले की फांस बन गई है। राजस्व अर्जित करने की चिंता में प्रशासन इस सख्ती में शिथिलता देता है तो अवैध खनन को बढ़ावा की आशंका है। दुविधापूर्ण स्थिति के बीच खनिज विभाग को दो माह से सैण्ड स्टोन पर तीन करोड़ की रॉयल्टी का भुगतान नहीं मिल सका है।

अवैध खनन पर की सख्ती तो थम गई सरकार की आय

अवैध खनन पर की सख्ती तो थम गई सरकार की आय

अवैध खनन पर की सख्ती तो थम गई सरकार की आय

प्रशासन के लिए गले का फांस बन गई है यह सख्ती
रॉयल्टी सहित विभिन्न करों से करोड़ों का हो रहा नुकसान
अवैध रोकने के चक्कर में सैण्ड स्टोन के कारोबार पर लगे हैं ब्रेक
सुरेन्द्र चतुर्वेदी

करौली। सैण्ड स्टोन के अवैध खनन को रोकने की खातिर प्रशासन द्वारा बरती गई सख्ती प्रशासन के लिए ही गले की फांस बन गई है। इस सख्ती से सरकार को लाखों रुपए के राजस्व के नुकसान की नौबत आई है। अगर राजस्व अर्जित करने की चिंता में प्रशासन इस सख्ती में शिथिलता देता है तो फिर से अवैध खनन को बढ़ावा मिलने की आशंका है।
इस दुविधापूर्ण स्थिति के बीच खनिज विभाग को दो माह से सैण्ड स्टोन पर तीन करोड़ की रॉयल्टी का भुगतान नहीं मिल सका है। इसके अलावा अन्य टैक्स भी सरकार को नहीं मिल पा रहे हैं। पहले कोरोना की मार और अब अवैध खनन रोकने को प्रशासन की सख्ती से पत्थर व्यवसायी तो आहत है ही, अब करोड़ों रुपए के राजस्व नुकसान की नौबत आने से खनिज विभाग के अफसर भी चिंतित है।
करौली इलाके में प्रमुख तौर पर सैण्ड स्टोन का कारोबार है। इससे ही समूचे करौली क्षेत्र की अर्थ व्यवस्था संचालित होती है। बीते कुछ समय से इस कारोबार में विराम आया है। इसका कारण पहले तो कोरोना की महामारी थी, जिसके कारण सैण्ड स्टोन का उत्पादन प्रभावित रहा। माल को ले जाने के लिए परिवहन साधन बंद थे और व्यापारियों को ऑर्डर भी कम मिलेे। एक माह पहले से पत्थर की खदानें शुरू हुई तो जिला प्रशासन ने वन एरिया में खनन को लेकर सख्ती कर डाली।
लगाए नाके तो थामा खनन

जिला प्रशासन ने बड़े पैमाने पर अवैध खनन की मिल रही शिकायतों के बाद अवैध खनन रोकने के लिए चौधरी पुरा मोड़ तथा पुलिस लाइन के समीप में खनिज, वन, राजस्व, पुलिस और परिवहन विभाग की 4 जून से संयुक्त चौकी कायम कर दी है। प्रशासन की इस कार्रवाई से सैण्ड स्टोन कारोबार में कुछ दिनों से ब्रेक लगे हैं। प्रशासन की मंशा तो वन एरिया में अवैध खनन रोकने की थी। लेकिन इससे वैध खनन का कारोबार भी प्रभावित हुआ है। पत्थर व्यवसायियों का कहना है कि वैध तरीके से उत्पादित सैण्ड स्टोन के परिवहन में भी अनावश्यक परेशानियों के कारण सैण्ड स्टोन कारोबार को बंद ही कर दिया है। इस कारोबार के बंद होने से सरकार को विभिन्न टैक्सों के रूप में प्रतिदिन 8 से 10 लाख रुपए की चपत लग
रही है।
उन्होंने कर दी हड़ताल

इधर सैण्ड स्टोन व्यवसाय से जुड़े लोगों ने कुछ दिनों से हड़ताल भी घोषित कर दी है। असल में तो इसका कारण अवैध खनन को लेकर की गई सख्ती में शिथिलता की मांग को बताया जा रहा है। जबकि माइनिंग एसोसिएशन का कहना है कि रॉयल्टी वसूली करने वाली ठेका फर्म द्वारा मनमानी दर से रॉयल्टी वसूली करने के कारण उन्होंने फिलहाल कारोबार को बंद किया है।
दो माह से जमा नहीं 3 करोड़ की किस्त

सरकार को सर्वाधिक नुकसान सैण्ड स्टोन की निकासी पर खनिज विभाग द्वारा वसूले जाने वाले रॉयल्टी की आय ठप होने से हुआ है। हालांकि सरकार ने रॉयल्टी अधिशुल्क वसूली का ठेका दिया हुआ है लेकिन माल निकासी बंद होने से इस ठेके की आय पर प्रतिकूल असर पड़ा है। बताते हैं कि ठेके के नाकों पर औसतन प्रतिदिन 3-4 लाख रुपए का रॉयल्टी कलेक्शन होता रहा है लेकिन अब यह आय हजारों रुपए में ही सिमट कर रह गई है। इससे ठेका फर्म आर्थिक तंगी से त्रस्त है।
सैण्ड स्टोन पर अधिशुल्क रॉयल्टी वसूली के लिए यह ठेका इस वित्तीय वर्ष में 17 करोड़ रुपए वार्षिक पर दिया गया। शुरू से ही यह ठेका गति नहीं पकड़ सका है। पहले कोरोना की मार से इसकी आय कमजोर रही और अब प्रशासन की अवैध खनन की सख्ती ने इस ठेके की कमर तोड़ डाली है। इसका सीधा असर सरकार के राजस्व पर पड़ रहा है। सम्बन्धित ठेका फर्म को प्रतिमाह लगभग डेढ़ करोड़ की किस्त जमा करानी होती है, जो इस फर्म ने दो माह से जमा नहीं कराई है। यानी सीधे तौर पर तीन करोड़ का राजस्व सरकार के खजाने में नहीं पहुंचा है। इसके अलावा सैण्ड स्टोन पर लगने वाले अन्य टैक्सों के रूप में भी सरकार को हो रहा नुकसान अलग है।
सूत्र बताते हैं कि रॉयल्टी वसूली की ठेका फर्म ने रॉयल्टी की किश्त 30 जून तक भी जमा नहीं कराई तो ठेका निरस्त होने की नौबत आ सकती है। फिलहाल अमानत राशि के कारण ठेका संचालन की अनुमति मिली हुई है।
वसूली के लिए खनिज विभाग द्वारा फर्म को लगातार नोटिस दिए जा रहे हैं।
अब प्रशासन के सामने दुविधा यह है कि इस राजस्व को अर्जित करने के लिए अगर लगाए गए नाकों को हटाया जाता है तो इससे अवैध खनन फिर से शुरू होने की आशंका है। प्रशासन का मानना है कि इससे संदेश भी नकारात्मक प्रचारित होगा।
इनका कहना है…

अवैध खनन को रोकने के लिए नाके लगाए गए हैं। शुरू में खनन व्यवसायियों ने भयभीत होकर काम को बंद किया था। कुछ अभी भी डरे हुए हैं। वैध खनन करने वालों को समझाइश कर रहे हैं। खनन व्यवसायियों ने हड़ताल की तो सूचना नहीं दी हुई है। यह सच है अधिशेष रॉयल्टी के ठेके फर्म ने दो माह से किश्त जमा नहीं कराई है। इसको लेकर नोटिस दिए गए हैं। अगर राशि जमा नहीं कराई तो निरस्त करने की कार्रवाई करेंगे।
हम किसी भी स्थिति में अवैध खनन को तो परमिट नहीं कर सकते।
पुष्पेन्द्र मीणा, खनिज अभियंता, करौली।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो