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पांच करोड़ का बजट खपाया, फिर भी अधूरे पड़े शौचालय

locationकरौलीPublished: Sep 06, 2019 09:50:21 am

Submitted by:

vinod sharma

करौली. जिला प्रशासन ने करौली नगरपरिषद क्षेत्र को कागजों में ओडीएफ (खुले में शौच मुक्त) घोषित कर राज्य सरकार से वाहवाही तो बटोर ली, लेकिन धरातल पर हालात इसके उलट हंै। (Swachh Bharat Mission flops in Karauli)अब ओडीएफ घोषित करना परिषद को गले की फांस बन गई है।

पांच करोड़ का बजट खपाया, फिर भी अधूरे पड़े शौचालय

पांच करोड़ का बजट खपाया, फिर भी अधूरे पड़े शौचालय

करौली. जिला प्रशासन ने करौली नगरपरिषद क्षेत्र को कागजों में ओडीएफ (खुले में शौच मुक्त) घोषित कर राज्य सरकार से वाहवाही तो बटोर ली, लेकिन धरातल पर हालात इसके उलट हंै। (Swachh Bharat Mission flops in Karauli)
अब ओडीएफ घोषित करना परिषद को गले की फांस बन गई है। प्रदेश की गत भाजपा सरकार के समय गांव व शहरों को ओडीएफ घोषित करने के लिए अभियान चला था। नियमों के अनुसार खुले में शौच मुक्त होने व शौचालय निर्माण के भुगतान के बाद ही ओडीएफ घोषित होना था। सूत्र बताते हैं कि करौली में काफी प्रयास करने के बाद भी शौचालयों का निर्माण नहीं हो सका, जबकि राज्य सरकार की ओर से लगातार ओडीएफ की रिपोर्ट मांगी जा रही थी। ऐसे में जिला प्र्रशासन के दबाव में नवम्बर 2018 में नगरपरिषद ने पांच करोड़ रुपए की लागत से वार्डों में शौचालय व सामुदायिक शौचालयों का निर्माण शुरू कराकर ओडीएफ घोषित कर रिपोर्ट सौंप दी। लेकिन धरातल पर अभी तक एक भी कार्य पूरा नहीं हुआ है। किसी भी लाभार्थी को अंतिम किश्त तक नहीं मिली है। गौरतलब है कि गत दिनों खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री की मौजूदगी में कलक्ट्रेट में आयोजित बैठक में ओडीएफ मामले की समीक्षा करने पर चर्चा भी हुई थी।
चार साल बाद भी निर्माण अधूरे
स्वच्छ भारत मिशन के तहत करौली शहर में वर्ष 2015 में ५४०० शौचालय निर्माण की स्वीकृति हुई थी। जिसके लिए पहली किश्त की राशि तीन-तीन हजार रुपए लाभार्थियों के खाते में डाल दी गई। इसके बाद द्वितीय किश्त की राशि २८०० लोगों के खाते में डाली गई। लेकिन अभी तक अंतिम किश्त की राशि एक भी लाभार्थी को जारी नहीं की गई है। इस कारण सवाल यही खड़ा हुआ है कि अंतिम किश्त की राशि लाभार्थियों को जारी नहीं की गई है तो निर्माण पूरा बताकर ओडीएफ कैसे घोषित कर दिया गया है।
अब नहीं मिल रहा बजट
जल्दबाजी में ओडीएफ घोषित करने की कार्रवाई अब नगरपरिषद पर ही भारी पड़ रही है, क्योंकि शौचालयों का निर्माण व स्वच्छता के लिए बजट की जरूरत है। लेकिन ओडीएफ घोषित होने की वजह से सरकार बजट नहीं दे रही। सूत्रों ने बताया कि शौचालयों का निर्माण पूरा कराने के लिए नगरपरिषद को करीब 2 करोड़ ८९ लाख २२ हजार रुपए की जरुरत है। जिसमें से अंतिम किश्त के भुगतान के बतौर पर 2 करोड़ १६ लख रुपए जारी किए जाने हैं।
जानकारी करूंगा
मैंने अभी कार्यभार संभाला है। इस कारण पूरी जानकारी नहीं है। मामले को दिखाकर बजट की मांग करेंगे तथा भुगतान भी करेंगे।
शम्भूलाल आयुक्त नगरपरिषद करौली

केस एक
करौली के वजीरपुर दरवाजा निवासी अनिस खान को शौचालय निर्माण की दो किश्त मिल चुकी है। लेकिन अंतिम किश्त का भुगतान अभी तक नहीं मिला है। जिससे शौचालय का निर्माण अधूरा पड़ा है।

केस दो
होली खिड़किया निवासी हरिओम कोली का शौचालय भी तीसरी किश्त के अभाव में अधूरा पड़ा है। शिकायत दर्ज कराने के बाद भी भुगतान नहीं मिला है।


केस तीन
करौली शहर के शिकारगंज मोहल्ला निवासी खिलाड़ी जाटव ने पहली व दूसरी किश्त का भुगतान मिलने पर ७० फीसदी से अधिक निर्माण कार्य करा लिया है। तीसरी किश्त के लिए एक साल से चक्कर लगा रहा है। तीसरी किश्त का भुगतान मिलने के बाद ही शौचालय का निर्माणपूरा होगा।

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