scriptशिक्षकों ने ठानी और बदल दी स्कूल की दशा | Teachers decided and changed the condition of the school | Patrika News

शिक्षकों ने ठानी और बदल दी स्कूल की दशा

locationकरौलीPublished: Jan 18, 2022 12:42:05 pm

Submitted by:

Surendra

शिक्षकों ने ठानी और बदल दी स्कूल की दशा
खुद ने किए रुपए खर्च और दानदाताओं का भी लिया सहयोग
करौली जिले में बालघाट. समीप के जहांनगर मोरडा गांव के राजकीय उच्च बालिका प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों ने अपनी राशि से स्कूल को संवारने की सराहनीय प्रयास किए हैं।इन शिक्षकों ने सरकारी बजट की कमी को महसूस करते हुए खुद ने स्कूल की दशा सुधारने का संकल्प लिया और फिर क्षेत्र के दानदाताओं, पंचायत के सहयोग के साथ खुद ने भी धनराशि खर्च करके धीरे-धीरे स्कूल में काफी बदलाव कर डाला है।

शिक्षकों ने ठानी और बदल दी स्कूल की दशा

शिक्षकों ने ठानी और बदल दी स्कूल की दशा


शिक्षकों ने ठानी और बदल दी स्कूल की दशा

खुद ने किए रुपए खर्च और दानदाताओं का भी लिया सहयोग

करौली जिले में बालघाट. समीप के जहांनगर मोरडा गांव के राजकीय उच्च बालिका प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों ने अपनी राशि से स्कूल को संवारने की सराहनीय प्रयास किए हैं।
इन शिक्षकों ने सरकारी बजट की कमी को महसूस करते हुए खुद ने स्कूल की दशा सुधारने का संकल्प लिया और फिर क्षेत्र के दानदाताओं, पंचायत के सहयोग के साथ खुद ने भी धनराशि खर्च करके धीरे-धीरे स्कूल में काफी बदलाव कर डाला है। इस स्कूल में 6 शिक्षकों ने स्कूल के विकास और सौन्द्रयीकरण के लिए खुद ने रुपए खर्च किए। साथ ही दानदाताओं और पंचायत से भी मदद के लिए हाथ फैलाए। उनकी इस पहले से सरकारी स्कूल की तस्वीर ही बदल गई है। विद्यालय के साफ-सुथरे भवन में बच्चे गणवेश में अंग्रेजी पढ़ते दिखते हैं, तो यकीन ही नहीं होता कि यह सरकारी स्कूल है। शिक्षकों द्वारा स्कूल के बच्चों को वस्त्र भी वितरितकिए जाते हैं। और प्रतिवर्ष बच्चों को भ्रमण के लिए ले जाते हैं।

ये हुए बदलाव

कक्षा 1 से 8 तक के180 छात्र-छात्राओं के इस स्कूल भवन काफी खराब स्थिति में था। इस पर 6 शिक्षकों ने अपने वेतन से कुछ कुछ राशि बचाकर स्कूल में लगाना शुरू किया।
स्टाफ सदस्यों ने इसकी सफाई के बाद तिरंगा कलर में रंग रोगन करवाया। मैदान में पेड़ पौधे लगाए। विद्यालय भवन के रंग-रोगन से सूरत बदलने के साथ ही दीवारों पर आकर्षक ढंग से बालिका शिक्षा, पर्यावरण, शिक्षा, स्वास्थ्य व स्वच्छता संबंधी स्लोगन लिखे गए हैं। छात्र व छात्राओं के लिए पीने के पानी की व्यवस्था की। अलग-अलग साफ शौचालय तैयार किए गए। स्कूल में पंखे व लाइट के साथ ही बिजली की व्यवस्था कराई गई। इनके लिए पानी की व्यवस्था विद्यालय स्टाफ द्वारा की जाती है। स्टाफ सदस्यों में प्रधानाध्यापक भूर सिंह मीणा महेंद्र सिंह चौहान धीरेंद्र शर्मा सोनू जाटव दिनेश चंद मीणा राम सिंह मीणा अध्यापिका रानी चौधरी शामिल हैं। शिक्षक बताते हैं कि हर सप्ताह 700 का एक टैंकर पानी मंगवाना पड़ता है। इससे पौधों के साथ स्कूल की अन्य जरूरतों को पूरा किया जाता है। ग्राम पंचायत सरपंच द्वारा, पूरे आंगन में सीसी निर्माण करवा दिया।

बच्चों की पढ़ाई में बढ़ी रुचि


पहले स्कूल में बच्चे पढऩे आने से कतराते थे। अब स्कूल साफ सुथरा हुआ और शिक्षा का माहौल बना तो बच्चों को घरों से बुलाकर लाने की जरूरत खत्म हो गई। अभिभावकों ने जब बदलाव महसूस किया तो बच्चों को समय से स्कूल भेजने लगे हैं। बच्चों की भी रुचि बढ़ी है। शिक्षक महेंद्र सिंह चौहान ने स्कूल में कक्षा तीन से पांच तक के बच्चों को अपने लेपटॉप से शिक्षा देनी शुरू की तो बच्चों की रुचि और बढ़ी है।

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