दरअसल, पंचायत समिति हिण्डौन में 4 एवं श्रीमहावीरजी में 3 कनिष्ठ तकनीकी सहायक कार्यरत हैं। जिनको करीब डेढ़ दशक पहले मनरेगा कार्यों के मूल्यांकन के लिए सरकार ने संविदा पर लगाया था। लेकिन जिला परिषद करौली के द्वारा दोनों ही पंचायत समिति के इलाकों में 5 से 7 ग्राम पंचायतों का कलस्टर बनाकर एक जेटीए को विकास कार्यों की तकनीकी जांच की जिम्मेदारी दे रखी है। सूत्रों के अनुसार हिण्डौन में ऐसे 10 तथा श्रीमहावीरजी में 3 कलस्टर बनाए हुए हैं। जबकि, नियमानुसार विकास कार्यों की तकनीकी जांच व मैजरमेंट का जिम्मा कनिष्ठ अभियंता या फिर सहायक अभियंताओं पर होता है। इसके विपरीत 21 ग्राम पंचायतों वाली श्रीमहावीरजी पंचायत समिति में ना तो कोई कनिष्ठ अभियंता पदस्थापित है और ना ही सहायक अभियंता कार्यरत है। जबकि 39 ग्राम पंचायतों वाली हिण्डौन पंचायत समिति में दो कनिष्ठ अभियंता एवं तीन सहायक अभियंता लगे हुए हैं।
कार्रवाई का डर ना तबादले की परवाह- पंचायती राज के सूत्र बताते हैं कि संविदा के आधार पर कार्यरत कनिष्ठ तकनीकी सहायक (जेटीए) निर्धारित मासिक मानदेय पर हैं। जिनकों ग्राम पंचायतों के विकास कार्यों की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दे रखी है। जबकि असल में इनकों निर्माण कार्यों की तकनीक और गुणवत्ता के बारे में कुछ भी पता ही नहीं होता है। अगर मैजरमेंट करते समय या एमबी भरने के दौरान कोई गड़बड़ी हो भी जाए, तो इन्हें ना तो कार्रवाई का डर होता है और ना ही तबादले का भय। सूत्र तो यह भी बताते हैं कि सात-आठ वर्षों से इन्हें एमबी भरने एवं तकनीकी जांच का जिम्मा सौंपा है, तब से इनकी पौ बारह पच्चीस हो रही है। मासिक मानदेय समय पर मिले अथवा नहीं, इसकी कोई परवाह नहीं है।
इनका कहना है-
कनिष्ठ तकनीकी सहायकों को ग्राम पंचायतों के विकास कार्यों के मैजरमेंट व तकनीकी जांच की जिमेदारी जिला परिषद द्वारा कलस्टर बनाकर दी गई है। पंचायत समिति द्वारा उनसे कलस्टर में निर्धारित पंचायतों का कार्य लिया जाता है।
–ज्ञानसिंह, विकास अधिकारी, पंचायत समिति, हिण्डौन व श्रीमहावीरजी।
कनिष्ठ तकनीकी सहायकों को ग्राम पंचायतों के विकास कार्यों के मैजरमेंट व तकनीकी जांच की जिमेदारी जिला परिषद द्वारा कलस्टर बनाकर दी गई है। पंचायत समिति द्वारा उनसे कलस्टर में निर्धारित पंचायतों का कार्य लिया जाता है।
–ज्ञानसिंह, विकास अधिकारी, पंचायत समिति, हिण्डौन व श्रीमहावीरजी।