शाम करीब पांच बजे पुरानी कचहरी के पास स्थित केशवरायजी, शाहगंज स्थित रघुनाथजी, जाट की सराय स्थित कल्याणरायजी व पुरानी मंडी स्थित मंदिर से भगवान मुरलीधरली के विग्रह को डोल में विराजित कर निकाला गया। अलग-अलग मंदिरों से निकली डोल यात्राएं परम्परागत रास्तों से निकल गोपालगंज तिराहे पहुंची।
जहां सभी डोल यात्राओं संगम हुआ। भक्तों ने डीजे पर भजनों पर खूब नृत्य किया। व डोलों में विरारित प्रतिमाओं के समक्ष फल भेंट किए। रास्तों में महिला-पुरुष व बच्चे खुशहाली की कामना से डोलों के नीचे से निकले और ठाकुरजी को भेंट चढ़़ाई। बाद में छत्तू घाट पर डोलों को बैठक पर रख संत तुलसीदास के सानिध्य में मंदिरों के महंतों ने ठाकुरजी की आरती की।
इस दौरान छत्तूघाट परिसर भीड़ से अट गया। इस दौरान महंतों ने जलसेन की सीढिय़ोंं पर ठाकुर की के अंग वस्त्रों को धोया और यशोदा मैया के जलवा पूजा की प्रतीकात्मक परम्परा पूरी की।
इधर छत्तूघट के शिवालय में पंडित लक्ष्मण प्रसाद दत्तात्रेय के मंत्रोच्चार पर छत्तूके परिवार के घनश्याम, राजेश, राजेंद्र, देवेंद्र सहित अन्य परिजनों पर परम्परागत तरीके से पूजा की। बाद में डोलों में विराजित ठाकुरजी की आरती की। बाद में ठाकुरजी भक्तों के भीड़ के बीच मंदिरों में लौट गर्भग्रहों में विराजित हुए।