scriptबेबस पिता की प्रशासन भी नहीं सुन रहा गुहार | The administration is not even listening to the helpless father | Patrika News
करौली

बेबस पिता की प्रशासन भी नहीं सुन रहा गुहार

बेबस पिता की प्रशासन भी नहीं सुन रहा गुहारभोजनशाला के सहारे काट रहा है जीवनपांच साल से बच्चों ने मारपीट कर कर रखा है बेदखललाखों की भूमि पर जमाया है कब्जा
करौली। अपने पुत्रों से प्रताडि़त हुआ एक पिता पांच साल से भोजन और आवास के लिए इधर-उधर भटकता घूमता है। धर्मशास्त्रों में चाहें माता-पिता को सर्वोच्चय स्थान प्रदान करने के साथ चाहें कानून भी उनकी मदद में बना हुआ हो लेकिन जिला मुख्यालय पर इस पिता की बेबसी के आंसु कानून के रखवालों को नजर नहीं आ रहे हैं।

करौलीJul 26, 2021 / 10:50 am

Surendra

बेबस पिता की प्रशासन भी नहीं सुन रहा गुहार

बेबस पिता की प्रशासन भी नहीं सुन रहा गुहार

बेबस पिता की प्रशासन भी नहीं सुन रहा गुहार
भोजनशाला के सहारे काट रहा है जीवन
पांच साल से बच्चों ने मारपीट कर कर रखा है बेदखल
लाखों की भूमि पर जमाया है कब्जा

करौली। अपने पुत्रों से प्रताडि़त हुआ एक पिता पांच साल से भोजन और आवास के लिए इधर-उधर भटकता घूमता है। धर्मशास्त्रों में चाहें माता-पिता को सर्वोच्चय स्थान प्रदान करने के साथ चाहें कानून भी उनकी मदद में बना हुआ हो लेकिन जिला मुख्यालय पर इस पिता की बेबसी के आंसु कानून के रखवालों को नजर नहीं आ रहे हैं। जबकि वह खुद प्रशासन की चौखट पर मदद की गुहार लगा चुका है।
यहां दुर्गेसी घटा निवासी 75 वर्षीय बाबूलाल माली ने अपनी जवानी में मेहनत-मजदूरी करके बच्चों को खाने-कमाने लायक बनाया। बड़ा पुत्र को अहमदाबाद में कारीगर है जबकि दूसरा करौली में भवन निर्माण के काम पर कारीगारी का काम करता है। खुद बाबूलाल के नाम भी एक बीघा 9 विस्वा जमीन है। जिसकी कीमत भी लाखों में होती है। बाबूलाल का आरोप है कि बच्चों ने इस भूमि पर कब्जा जमाकर उसे दर दर भटकने को मजबूर किया हुआ है। बाबूलाल कुछ वर्ष पहले तक भवन निर्माण कामों में कारीगीरी किया करता था और खेत भी संभाल लेता था। लेकिन हादसों में दोनों पैरों में फ्रैक्चर होने के बाद वह मेहनत मजदूरी करने में लाचार हुआ तो उसके पुत्रों ने भी उससे रिश्ता खत्म कर लिया। बाबूलाल की शिकायत है कि बच्चों ने पांच साल से उसे घर से निकाला हुआ है। इसके बाद से वह मदनमोहन भोजनशाला में पेट भर लेता है और वहां पर ही सो जाता है। उसकी पत्नी बोरिया माली चलने-फिरने की स्थिति में नहीं होने से वह बच्चों की प्रताडऩाओं के बीच खेत पर छप्परपोश में रहती है। खुद अपने लायक कच्चा पक्का बनाकर पेट भर लेती है।
बाबूलाल ने लिखित व मौखिक रूप से अपने पुत्रों व पुत्र वधुओं पर मारपीट करने जैसे शर्मनाक आरोप भी लगाए हैं। बाबूलाल का कहना है कि उसके बच्चों ने उसे तो मारपीट करके भगा ही दिया। छप्पर में रहने वाली अपनी बूढ़ी मां से भी मारपीट करते हैं जो वहां से कहीं आने जाने में लाचार है।

कानून भी नहीं मददगार
अपने बच्चों से आहत माता- पिता के लिए सरकार ने कानून भी बनाया हुआ है। यह सुनकर वकील के जरिए गुहार लगाने को बाबूलाल बीते पांच वर्ष में प्रशासन की चौखट पर भी कई बार गया लेकिन हर बार उसे निराशा ही हाथ लगी। इस बार प्रशासन के अफसरों की प्रशंसा को सुन 15 दिन पहले फिर से उपखण्ड अधिकारी के कार्यालय में वकील के जरिए प्रार्थना पत्र पेश किया तो सरकारी प्रक्रिया में उसका प्रार्थना पत्र उलझ कर रह गया।
इनका कहना है

मामले में राजस्वकर्मियों से वस्तु स्थिति की रिपोर्ट मंगाकर कानून सम्मत कार्रवाई करेंगे।
देवेन्द्र सिंह परमार, उपखण्ड अधिकारी, करौली

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