24 दिन में आए 10 मरीज यहां स्वामी विवेकानंद राजकीय मॉडल स्कूल में संचालित कोविड केयर सेंटर की स्थिति यह है कि बीते 24 दिन में मात्र 10 मरीजों ठहरे हैं। इसमें भी 14 अक्टूबर से कोई मरीज नहीं यहां नहीं आया है। इससे पहले 5 से 13 अक्टूबर की 9 दिन की अवधि में मात्र 3 मरीज यहां उपचार को रखे गए। असल में सरकार की ओर से कोविड मरीजों के लिए खुद के घर पर आइसोलेशन में रहने की छूट के बाद से इस सेंटर पर आने वाले मरीजों का ग्राफ गिरा है। चिकित्सा अधिकारी बताते हैं कि इस सेंटर में ऐसे कोविड मरीजों को उपचार के लिए रखा जाता है, जो गंभीर प्रकृति के नहीं है और टेबलेट आदि के सामान्य उपचार से स्वस्थ्य हो सकते हैं। कोविड केयर सेंटर पर चंद मरीजों की संख्या के बावजूद चिकित्सा विभाग ने उच्च माध्यमिक स्तर के मॉडल स्कूल के साथ पड़ोस में निर्माणाधीन प्राथमिक स्तर के मॉडल स्कूल भवन का भी अधिग्रहण कर रखा है।
लागत से ज्यादा बन गया भाड़ा दिलचस्प बात यह है कि कोविड केयर सेंटर पर भाडे के एक सौ पलंग, गद्दे, रजाई, चद्दर आदि की व्यवस्था सात माह से चली आ रही है। रोजमर्रा के सामान सहित अन्य व्यवस्थाओं पर भी राशि लगातार खर्च हो रही है। कोविड मरीजों को आनंदित करने के लिए एक म्यूजिक सिस्टम भी यहां पर रखा हुआ है, जिसका उपयोग तो हो नहीं रहा है जबकि इसके भाड़े के 500 रुपए रोज की चपत सरकार को लग रही है। जानकार बताते हैं कि भाड़े के रूप में इतनी राशि बन चुकी जितनी व्यवस्थाओं में लगे सामान की लागत भी नहीं है।
बिना मरीज के लग रही ड्यूटी बिना मरीजों के कोविड केयर सेंटर के संचालन के बावजूद यहां नर्सेज स्टाफ और सुरक्षा के लिए पुलिस कर्मियों की ड्यूटी तीन -तीन पारियों में लगातार चल रही है। ये सभी मरीजों के इंतजार में निठल्ले बैठे रहते हैं। एक ओर चिकित्साकर्मियों की कमी है जबकि दूसरी ओर यहां स्टाफ की सेवाओं का उपयोग नहीं हो पा रहा है। इसी प्रकार सुरक्षा के लिए एक हैड कांस्टेबल, एक कांस्टेबल, एक महिला कांस्टेबल तथा एक होमगार्ड की ड्यूटी भी 8-8 घंटे से लगाई जा रही है।
पढ़ाई हुई है ठप महज औपचारिक तौर पर संचालित कोरोना कोविड सेंटर से मॉडल स्कूल में पढऩे वाले 300 से अधिक विद्यार्थियों की पढ़ाई ठप है। सरकार ने 9 से 12 वीं कक्षा के विद्यार्थियों के लिए 20 सितम्बर से परामर्श (कॉसलिंग) के लिए स्कूल आने की छूट दे रखी है लेकिन मॉडल स्कूल में कोविड सेन्टर होने से कोई भी अभिभावक बच्चों को स्कूल भेजने को तैयार नहीं है। जानकार बताते हैं प्रदेश में केवल ये ही एक मात्र ऐसा स्कूल है, जिसका अभी भी कोविड में अधिग्रहण बरकरार है। बच्चों की पढ़ाई बाधित होने से चिंतित शिक्षा अधिकारी तथा अभिभावक मॉडल स्कूल को कोविड सेंटर से मुक्त कराने के लिए जिला प्रशासन से आग्रह कर चुके हैं। इस सम्बन्ध में मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी ने अतिरिक्त जिला कलक्टर से मुलाकात भी की थी।
ट्रोमा वार्ड में कर सकते हैं शिफ्ट नए चिकित्सालय में 200 पलंग की क्षमता वाला ट्रोमा वार्ड पूरी तरह से खाली है। मॉडल स्कूल से कोविड केयर सेंटर को उसमें शिफ्ट भी किया जा सकता है। वहां चिकित्सालय के संसाधन और सुविधा भी उपलब्ध हैं। इसी प्रकार पुराने चिकित्सालय में भी काफी परिसर खाली पड़ा है जहां पर कोविड वार्ड को शिफ्ट करके आईसीयू को वापस संचालित किया जा सकता है।
आईसीयू पर ताला इधर कोविड के नाम पर गंभीर मरीजों के उपचार के लिए पुराने चिकित्सालय में उपलब्ध गहन चिकित्सा इकाई की सुविधा भी छिन गई है। सात माह से आईसीयू पर ताला लटका है। इसे कोविड के इमरजेंसी वार्ड के रूप में आरक्षित करके रखा हुआ है। यह बात अलग है कि सात माह में इस वार्ड में किसी का उपचार नहीं हुआ। इस कारण से आईसीयू वार्ड की बदहाल स्थिति हो गई है। जबकि आईसीयू के बंद होने से गंभीर रोगों के मरीजों की उपचार में जेब कट रही है। उनको निजी चिकित्सालयों और जयपुर में उपचार कराने जाने को मजबूर होना पड़ रहा है।
एक माह में आए मात्र 7 मरीज
पुराने चिकित्सालय में सितम्बर माह से एक अन्य कोविड वार्ड भी संचालित है। वहां अब तक केवल सात मरीज उपचार के लिए आए हैं। यहां गंभीर मरीजों को वेन्टीलेटर की सुविधा है लेकिन किसी मरीज के लिए ये नौबत आई नहीं। असल में जो मरीज भर्ती हुए उनको प्राथमिक उपचार के बाद जयपुर रैफर कर दिया जाता है। मरीज भर्ती हों या न हों लेकिन इस वार्ड में चिकित्साकर्मियों की ड्यूटी लगातार चल रही है।
यह निर्णय प्रशासन के हाथ कभी भी आपात स्थिति में कोविड के मरीज आ सकते हैं। इसलिए व्यवस्थाएं रखा जाना जरूरी है। मॉडल स्कूल को खाली करने का निर्णय प्रशासनिक स्तर का मामला है। इस बारे में वो ही निर्णय करेंगे। वैकल्पिक व्यवस्था में खाली करने पर उनको कोई दिक्कत नहीं।
डॉ. दिनेश मीणा, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी करौली
कोविड वार्ड में कर सकते हैं शिफ्ट
यह सच है कि मॉडल स्कूल में बनाए गए कोविड केयर सेंटर में मरीज काफी कम आ रहे हैं। इनको चिकित्सालय के कोविड वार्ड में भी रखा जा सकता है। वैसे सरकार ने भी अब नई व्यवस्था कर दी है कि साधारण मरीजों को दवाई की किट देकर घर पर आइसोलेशन में रखा जाए। ऐसे में कोविड केयर सेंटर की उपयोगिता कम है लेकिन इस मामले में निर्णय तो मुख्य चिकित्सा अधिकारी या जिला कलक्टर साहब ही करेंगे।
डॉ. दिनेश गुप्ता, प्रमुख चिकित्सा अधिकारी करौली
स्कूल को जल्दी करेंगे अधिग्रहण मुक्त मेरी जानकारी में आया है कि मॉडल स्कूल में संचालित कोविड केयर सेंटर में कोविड मरीजों को ठहराव काफी कम है। ऐसे में इसकी उपयोगिता प्रतीत नहीं हो रही है। हम इस बारे में विचार करके जल्दी इसको अधिग्रहण मुक्त करने का निर्णय कर रहे हैं।
आईसीयू के लिए फिलहाल हिण्डौन में व्यवस्था शुरू कर रहे हैं। एक माह बाद करौली के मामले में समीक्षा करेंगे।
सिद्धार्थ सिहाग, जिला कलक्टर करौली