काफी सालों के बाद बंधी राखी
चैतन्य सेवा संस्थान में असाहय व नि:शक्त बालक -बालिकाएं है। नि:शक्त बालक तो घर चले जाते है। लेकिन असाहय इसी संस्थान में रहते है। इस कारण असाहय बालक-बालिकाओं ने सालों के बाद राखी का त्योहार मनाया गया। चैतन्य सेवा संस्थान की छात्राओं ने भी बालकों की कलाई पर राखी बांधी।
काफी सालों के बाद बंधी राखी
चैतन्य सेवा संस्थान में असाहय व नि:शक्त बालक -बालिकाएं है। नि:शक्त बालक तो घर चले जाते है। लेकिन असाहय इसी संस्थान में रहते है। इस कारण असाहय बालक-बालिकाओं ने सालों के बाद राखी का त्योहार मनाया गया। चैतन्य सेवा संस्थान की छात्राओं ने भी बालकों की कलाई पर राखी बांधी।
चैतन्य सेवा संस्थान में असाहय व नि:शक्त बालक -बालिकाएं है। नि:शक्त बालक तो घर चले जाते है। लेकिन असाहय इसी संस्थान में रहते है। इस कारण असाहय बालक-बालिकाओं ने सालों के बाद राखी का त्योहार मनाया गया। चैतन्य सेवा संस्थान की छात्राओं ने भी बालकों की कलाई पर राखी बांधी।