नगरपरिषद सभापति राजाराम द्वारा पूर्व मंत्री रमेश मीणा पर आरोप लगाने को लेकर अनेक सवाल उठे हैं। साथ ही इसको प्रदेश के सियासी घटनाक्रम से जोड़कर देखा जा रहा है। असल में उन्होंने पूर्व मंत्री के नजदीकी लोगों पर अतिक्रमणों के जो आरोप लगाए वो नए नहीं हैं। इन मामलों की पहले भी चर्चाएं रही है। लेकिन न तो कभी भाजपा की ओर से इस बारे में कुछ बोला गया न विरोधी दल में होने के बावजूद आज मुखर हुए सभापति ने इस बारे में अपनी जुवान खोली। शनिवार को भी पत्रकार वार्ता में भाजपा संगठन का कोई पदाधिकारी मौजूद नहीं रहा। यानी राजाराम ने अकेले ही बिना संगठन के सारे आरोप लगाए हैं। इस प्रकार अचानक पूर्व मंत्री के खिलाफ सभापति के मुखर होने पर अनेक राजनीतिक कयास निकाले जा रहे हैं। यहां खास बात यह भी है कि एक सप्ताह पहले ही निलम्बित सभापति को राज्यसरकार स्तर से बहाल करके वापस सभापति का पदभार सौंपा गया है। जानकर लोग उनकी बहाली तथा उनकी ओर से लगाए आरोपों को जोड़कर देख रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि रमेश मीणा इन दिनों सचिन पायलट के खेमे में हैं जबकि राजाराम भाजपा में हैं।
स्वच्छ छवि को खराब करने की चेष्टा
मेरी स्वच्छ छवि को राजनीतिक दुर्भावना से खराब करने के प्रयास किए जा रहे हैं। आरोप तो कोई भी लगा सकता है। कोई साक्ष्य आधार भी तो होने चाहिए। किसी का कोई अतिक्रमण है तो उसे हटाने की कार्रवाई की जानी चाहिए। मेरे को उच्च स्तरीय इशारे पर अनावश्यक बदनाम करने का प्रयास हैं। मेरे रिश्तेदार गलत काम करते हैं तो कानून के हिसाब से कार्रवाई की जा सकती है।
रमेश मीणा, पूर्व मंत्री विधायक सपोटरा
राजाराम द्वारा पूर्व मंत्री के खिलाफ जमीनों को लेकर लगाए जा रहे आरोपों में काफी हद तक दम है। वे उनके आरोपों से सहमत भी हैं। हालांकि डिकोलिया ने राजाराम द्वारा पूर्व मंत्री के खिलाफ आरोप लगाने को लेकर पत्रकार वार्ता आयोजित करने से अनभिज्ञता जताई।
बृजलाल डिकोलिया, जिलाध्यक्ष भाजपा, करौली
अकेले भी तो बोल सकते हैं
जो आरोप मैंने लगाए हैं उनकी जानकारी मुझे अभी हुई थी। इसलिए इससे पहले वो नहीं बोले थे। भाजपा संगठन से वे दूर नहीं है लेकिन जिम्मेदार जनप्रतिनिधि होने के हैसियत से मैं अकेला भी तो गलत काम के खिलाफ बोल सकता हूं।
राजाराम, सभापति नगरपरिषद करौली