इस योजना की क्रियान्विति होने पर प्रदेश में बिजली उत्पादन बढऩे के साथ आर्थिक रूप से कमजोर चल रहे बिजली निगमों के संबल मिलने की उम्मीद है। जयपुर डिस्कॉम के सूत्र बताते हैं कि सोलर प्लांट के जरिए बिजली उत्पादन होने पर यह सस्ती पड़ेगी, जिससे दूसरे राज्यों से प्रदेश की आवश्यकतानुसार खरीद की जाने वाली महंगी बिजली से राहत मिलेगी। साथ ही दूसरे प्रदेशों से बिजली की खरीद भी कम हो जाएगी। संभव है भविष्य में उपभोक्ताओं पर बिजली की प्रति यूनिट की दर का अधिक भार भी नहीं पड़ेगा।
जेवीवीएनएल करौली के अधीक्षण अभियंता आरसी शर्मा का कहना है कि प्रदेश में सोलर प्लांट पर विचार कर कवायद की जा रही है। इससे फायदा मिलेगा। 33 केवी स्टेशनों पर जो स्पेश जमीन उपलब्ध है, उस पर सोलर प्लांट लगाने की कार्ययोजना है। उच्चाधिकारियों की ओर से हमसे जिले के जीएसएस पर उपलब्ध जमीन की जानकारी चाही गई थी, जिसे हमने भेज दिया है। ऐसा होने पर कृषि उपभोक्ताओं को दिन के ब्लॉक बनाकर बिजली दी जा सकेगी।
पर्यावरण को फायदा, रखरखाव का भी झंझट नहीं
जयपुर डिस्कॉम सूत्रों के अनुसार सोलर प्लांट के जरिए बिजली उत्पादन होने से पर्यावरण को भी फायदा मिलेगा। इसके अलावा सोलर प्लांट से मरम्मत-रखरखाव में भी कमी आएगी, जिससे विद्युत निगम को रखरखाव पर प्रतिवर्ष खर्च की जानी वाली राशि में कमी आने के साथ कार्मिकों के अधिक श्रम में भी बचत होगी।
तीन डिस्कॉम कर रहे कार्य
प्रदेश में वर्तमान में तीन डिस्कॉम कार्य कर रहे हैं। इनमें जयपुर, जोधपुर तथा अजमेर डिस्कॉम शामिल हैं। जयपुर डिस्कॉम के सूत्र बताते हैं कि अभी यह तय नहीं है कि सोलर प्लांट का संचालन किस मोड़ पर होगा। यानि राज्य सरकार इसे पीपीपी मोड़ पर संचालन करेगी, या बिजली निगम स्वयं ही इसका संचालन करेगा।