ऐसे में किसानों की चिंता बढ़ गई है। पहले बेमौसम बारिश व ओलावृष्टि से हुए फसली नुकसान ने किसानों की कमर तोड़ी और अब कोरोना वायरस के संक्रमण का खौफ से वे खेतों में उपजी अपनी फसल को बेच नहीं पा रहे हंै। जिससे खलिहानों में सरसों व गेहूं के ढेर लग गए हैं।कैलाशनगर स्थित जिले की एकमात्र सबसे बड़ी कृषि उपज मंडी के यार्ड के मुख्य द्वार पर ताला लटका है।
मंडी परिसर के ए, बी व सी ब्लॉक में नीलामी प्लेटफार्म व सडक़ों पर सरसों से भरे कट्टों के ढ़ेर तो नजर आए, लेकिन दुकानों के बंद होने से न तो कोई व्यापारी दिखा और न रही किसान और पल्लेदार। जिंसों से भरे कट्टों का लदान होने के बाद भी कई ट्रक मंडी यार्ड में ही खड़े दिखे। जानकारी के अभाव में कुछेक किसान ट्रैक्टर-ट्रॉली व जुगाडों से अपनी सरसों को बेचने के लिए मंडी लेकर आए, लेकिन गेट पर ताला और यार्ड में सूनापन दिखाई देने पर वापस लौट गए।
कृषि उपज मंडी व्यापार मंडल के पूर्व अध्यक्ष प्रदीप गर्ग ने बताया कि लॉक डाउन का असर मंडी में शत प्रतिशत रहा। राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार महासंघ के प्रदेश व्यापी आह्वान पर व्यापारियों ने 31 मार्च तक अपनी दुकानें बंद रखने का निर्णय लिया है। इधर मंडी समिति सचिव राजेश कर्दम ने बताया कि लॉक डाउन को देखते हुए जिला कलक्टर व पुलिस अधीक्षक के निर्देश पर सोमवार व मंगलवार को मंडी बंद रखने का निर्णय लिया है।
हालांकि अभी तक कृषि विपणन विभाग से इस संबंध में कोई आदेश नहीं मिले हैं। उल्लेखनीय है कि रबी की फसल का सीजन होने से मंडी में सैंकडों गावों के हजारों किसान प्रतिदिन 10 से 12 हजार क्विन्टल सरसों व गेहूं बेचान के लिए आते हैं।