खेल और पढ़ाई के बीच समय प्रबंधन आवश्यक, पत्रिका से विशेष बातचीत
करौलीPublished: May 13, 2019 07:55:54 pm
Time management required between games and studies
खेल और पढ़ाई के बीच समय प्रबंधन आवश्यक, पत्रिका से विशेष बातचीत
करौली. कहा जाता है कि जो बच्चे खेलते हैं वो पढ़ाई में पिछड़ते हैं लेकिन इस मिथक को तोड़ा है करौली में वैशाली नगर निवासी आदित्य शर्मा ने। मूलतौर पर अरोरा मण्डरायल के निवासी अरविन्द शर्मा कम्पाउंडर के पुत्र आदित्य ने कुछ दिन पहले घोषित सीबीएसई बोर्ड की १० वीं परीक्षा में ९६.६ प्रतिशत अंक प्राप्त किए हैं। उसकी मम्मी गरिमा शर्मा करौली चिकित्सालय में संचालित मदर मिल्क बैंक में प्रबंधक है। खास बात यह है कि आदित्य बैडमिंटन का बेहतर खिलाड़ी है। वह तीन बार राज्य स्तर पर तथा एक बार राष्ट्रीय स्तर पर अपने खेल का प्रदर्शन कर चुका है। खेल और पढ़ाई के बीच सामजंस्य बनाने के साथ उसकी उपलब्धि, आगामी लक्ष्य के बारे पत्रिका से की गई बातचीत के अंश…
पत्रिका- आपको बैडमिंटन खेलने का शौक कब से लगा।
आदित्य- मैं टाइम पास करने को खेलता था, जिसको पापा ने एक लक्ष्य में बदल डाला है। खेल में आगे बढ़ाने में पापा ने ही पूरा सहयोग किया है।
पत्रिका- पढ़ाई और खेल में समय प्रबंधन और सामंजस्य कैसे किया।
आदित्य- हमारे घर का अनुशासन बहुत सख्त है। खेल और पढ़ाई के लिए पापा ने टाइम टेबल बनाया हुआ है। इसमें जरा से देरी होने पर सख्त सजा मिलती है। सजा में ट्रेक पर अधिक दौड़ाते हैं। पापा ही मेरे को निर्देशित करते हैं। कब कैसे खेलना है और पढऩा है। परीक्षा के दिनों में भी मेरी फिजिकल फिटनेस बनाए रखने के लिए पापा ने एक्सरसाइज कराना और दौड़ लगवाना बंद नहीं किया।
पत्रिका- पापा जब सजा देते हैं तो बुरा नहीं लगता।
आदित्य- अधिक सख्ती को लेकर बुरा को लगता है फिर सोचता हूं कि वो मेरे भविष्य के लिए ही तो अच्छा कर रहे हैं। उनको मेरे से काफी उम्मीद हैं।
पत्रिका- आपका आगे का क्या लक्ष्य है
आदित्य- मम्मी तो मुझे प्रशासनिक अधिकारी बनाना चाहती है। पापा खेल में आगे बढ़ाना चाहते हैं। मैं दोनों में सामजंस्य बनाने के लिए प्रयत्न कर रहा हूं। अभी हैदराबाद में एकेडमी में प्रवेश लेने का इरादा है। वहां पर कुछ उम्मीद बनी तो ठीक वरना एनडीए में जाने के लक्ष्य के साथ पढ़ाई करूंगा।
पत्रिका- सोश्यल मीडिया और टीवी में कितनी समय देते हो।
आदित्य- सोश्यल मीडिया से मैं कोसों दूर हूं। टीवी पर पहले कुछ प्रोग्राम देखता था अब कभी कभार समाचार सुन लेता हूं।