यह बात यहां एक रिसोर्ट में क्षय रोगियों को पौष्टिक आहार वितरण कार्यक्रम में जिला कलक्टर नन्नूमल पहाडिया ने कही। जिला टीबी प्रोगाम कमेटी और सोशल वेलफेयर सोसायटी के ओर से आयोजित कार्यक्रम में सोसायटी की ओर से जिले के एमडीआर (क्षय रोगियों) को पौष्टिक आहार सामग्री का वितरण किया गया।
इस मौके पर कलक्टर पहाडिय़ा ने कहा कि करौली, धौलपुर और दौसा जिलों में पत्थर का अधिक काम है। लोग सावधानी नहीं बरतते, जिसके चलते पत्थर से उडऩे वाली धूल व कणों से वे टीबी और सिलिकोसिस की चपेट में आ जाते हंै। इन रोगों से बचाव के लिए सावधान बरतना जरुरी है।
काम करते समय मुंह पर मास्क लगाएं, स्पंज का उपयोग करें, तो रोग से बचा जा सकता है। उन्होंने कहा कि 2025 तक टीबी मुक्त भारत का उद्देश्य है और अब डॉट पद्धति से टीबी का शत-प्रतिशत उपचार संभव है। उन्होंने सिलिकोसिस को गंभीर बीमारी बताते हुए कहा कि इसका आसानी से इलाज संभव नहीं है।
ऐसे में बचाव ही इसका बेहतर उपाए है। लोगों को सावधानी को लेकर जिले में जल्द ही जागरुकता शिविरों का आयोजन प्रशासन, खनिज और श्रम विभाग की ओर से लगाए जाएंगे। उन्होंने लोगों से उपचार में झाड़-फूंक और नीम-हकीमों से बचने की भी सलाह दी। मुख्य अतिथि सोसायटी के अध्यक्ष हाजी रुखसार अहमद ने भी रोग से बचाव के लिए सावधानी बरतने पर जोर देते हुए सहयोग का भरोसा दिलाया। इस मौके पर स्कूलों में क्षय रोग से बचाव, उपचार एवं जांच संबंधी बैनर का विमोचन भी किया गया।
इस मौके पर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. दिनेशचन्द मीना, जिला क्षय रोग निवारण अधिकारी डॉ. विजयसिंहज, सामान्य चिकित्सालय के प्रमुख चिकित्सा अधिकारी डॉ. दिनेश गुप्ता, डॉ. प्रकाश व्यास, सैय्यद फजले अहमद, टीबी क्लिनिक के कार्मिक अनिलकुमार शर्मा, शकरुद्दीन, प्रकाशचन्द मीना, भगवतीलाल आदि मौजूद थे।